1-7/4-10 की दृष्टि सौ प्रतिशत होती है |
3- 5,9 को 50% दृष्टि
8-12 को 25% 2 को 100%
2-6 को 25%
5-9 को 50% दृष्टि देता है |
1-7/4-10 की दृष्टि सौ प्रतिशत होती है |
3- 5,9 को 50% दृष्टि
8-12 को 25% 2 को 100%
2-6 को 25%
5-9 को 50% दृष्टि देता है |
उपाय के तौर पर 10 अंधों को हर वर्ष भोजन कराएं |
2)रतांध ग्रह - सूर्य चौथे भाव में हो तथा शनि सातवें भाव में हो तो ऐसे में शनि को सोया हुआ माना जाता है |
लग्न खाली होतो है इसके लिए मिट्टी के लोटे में शहद जमीन में दबाए |
यदि शनि जागा
हुआ हो (लग्न मे ग्रह होतो) तो बांसुरी में देसी खांड जमीन में दबाए |
3)धर्मी ग्रह - चौथे भाव में राहु केतु ,ग्यारहवें भाव में शनि, गुरु शनि (5 9 11 12) भाव में हो तो टेवा धर्मी ग्रह का टेवा कहलाता हैं |
4)टकराव के ग्रह – 1/8 में बैठे हुए ग्रह अशुभ फल देते हैं |
5)बुनियादी ग्रह - 1/5 भाव में ग्रह बैठे हो तो शुभ फल प्रदान करते हैं |
6)मुकाबले का ग्रह - दो मित्र के संग शत्रु ग्रह (एक ग्रह का चाहे दोनों ग्रहो का ) बैठ जाए तो मुकाबले का ग्रह बन जाता है जैसे सप्तम भाव में शुक्र बुध संग सूर्य हो तो पत्नी बीमार रहती है |
7)साथी ग्रह - अपने-अपने घर पर राशि बदलकर बैठे हुए ग्रह को साथी ग्रह कहा जाता है |
हमारी इस पोस्ट में हमने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को कब जेल से राहत मिलेगी यह बताने का प्रयास शाहरुख खान की पत्रिका आर्यन खान की चंद्र पत्रिका तथा प्रश्न कुंडली के माध्यम से देने का प्रयास किया है हमें आशा है कि हमारे ज्योतिष मित्रों को यह पोस्ट पसंद आएगी |
https://youtu.be/FV1fajMbLRQ
हम सब जानते
हैं की अभी कलयुग चल रहा है जिसकी आयु 432000 वर्ष है तथा इस समय कलयुग का प्रथम चरण चल रहा है | 2078 विक्रमी के आरंभ तक कलयुग के केवल 5122 वर्ष व्यतीत वर्ष ही हुए हैं, अंतिम अवतार का का जन्म कलयुग के अंत में होगा, जिससे स्पष्ट
हैं की अभी निकट भविष्य मे इस कल्कि अवतार के अवतरित होने की कोई भी संभावना नहीं है | 23वे श्लोक से स्पष्ट है कि कल्कि अवतार से ही सत्य युग का प्रारंभ हो जाएगा |
इसी अध्याय के 24वे श्लोक में कहा गया है कि जिस समय चंद्रमा,सूर्य तथा गुरु एक ही साथ एक ही समय पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करते हुये एक ही राशि,जो की वर्तमान समय के अनुसार कर्क राशि पर आते हैं उसी समय सतयुग प्रारंभ होता है |
जिससे यह स्पष्ट है कि कल्कि का अवतार और सतयुग की शुरुआत एक ही साथ होगी यानी कल्कि के जन्म के समय की ग्रह स्थिति ठीक वही होगी जो सतयुग के आरंभ के समय बताई गई है इस बात से कल्कि अवतार के जन्म समय के संदर्भ में निम्नलिखित बातें निकल कर सामने आती हैं |
पहली गुरु,सूर्य और चंद्रमा जब एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे तो कल्कि का जन्म होगा | पुष्य नक्षत्र कर्क राशि के अंतर्गत है (चंद्रमा जन्म के समय जिस राशि के नक्षत्र में हो व्यक्ति विशेष की जन्म राशि और नक्षत्र वही होता है ) कल्कि के जन्म की राशि कर्क और जन्म नक्षत्र पुष्य होगा |
दूसरा सूर्य कर्क राशि के पुष्य नक्षत्र में 19 जुलाई से 1 अगस्त की अवधि में रहते हैं अतः कल्कि का जन्म 19 जुलाई से 1 अगस्त के मध्य होगा |
तीसरा सूर्य और चंद्रमा का एक साथ एक नक्षत्र एवं राशि में प्रवेश करने का अर्थ है उस समय अमावस्या या उसके आसपास का समय होना अर्थात कल्कि का जन्म अमावस्या अथवा अमावस्या के आसपास होगा जिससे शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा भी संभव है यद्यपि वर्तमान में श्रावण शुक्ल पंचमी को कल्कि जयंती मनाई जाती है परंतु इस प्रमाण से यह तिथि मेल नहीं खाती है |
बृहस्पति गोचर भ्रमण करते हुए लगभग प्रत्येक 12 वर्ष में एक राशि पर पुन: आते हैं |किसी श्रेष्ठ गणना करने वाले सॉफ्टवेयर की मदद से अगर यह पता लगाया जा सके कि गुरु कर्क राशि में किस वर्ष 19 जुलाई से 1 अगस्त की अवधि में होंगे,जिसके बीच चंद्रमा का संचार भी उस अवधि में कर्क राशि के पुष्य
नक्षत्र से हो तो कल्कि अवतार का संभावित समय जाना जा सकता है |