शनिवार, 2 अक्टूबर 2021

कब होगा कल्कि अवतार ?

 


दसवे अवतार कल्कि के समय के बारे में श्रीमद भगवत महापुराण में जो वर्णन आता है उसके आधार पर हम कल्कि अवतार के जन्म समय के निर्धारण का प्रयास इस लेख में करेंगे श्रीमद भगवत पुराण के 12वीं स्कंध के द्वितीय अध्याय के 16वे श्लोक में कहा गया है कि भगवान कल्कि कलयुग के अंत में अवतार ग्रहण करेंगे | 23वे श्लोक में कहा गया है कि कलयुग के अंतिम दिनों में कल्कि भगवान की कृपा स्वरूप मनुष्य के मन में सात्विकता का संचार होगा और लोग अपने वास्तविक स्वरूप को जान सकेंगे तभी से सतयुग का प्रारंभ होगा |

हम सब जानते हैं की अभी कलयुग चल रहा है जिसकी आयु 432000 वर्ष है तथा इस समय कलयुग का प्रथम चरण चल रहा है  | 2078 विक्रमी के आरंभ तक कलयुग के केवल 5122 वर्ष व्यतीत वर्ष ही हुए हैं, अंतिम अवतार का का जन्म कलयुग के अंत में होगा, जिससे स्पष्ट हैं की अभी  निकट भविष्य मे इस कल्कि अवतार के अवतरित होने की कोई भी संभावना नहीं है | 23वे श्लोक से स्पष्ट है कि कल्कि अवतार से ही सत्य युग का प्रारंभ हो जाएगा |

इसी अध्याय के 24वे श्लोक में कहा गया है कि जिस समय चंद्रमा,सूर्य तथा गुरु एक ही साथ एक ही समय पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करते हुये एक ही राशि,जो की वर्तमान समय के अनुसार कर्क राशि पर आते हैं उसी समय सतयुग प्रारंभ होता है |

जिससे यह स्पष्ट है कि कल्कि का अवतार और सतयुग की शुरुआत एक ही साथ होगी यानी कल्कि के जन्म के समय की ग्रह स्थिति ठीक वही होगी जो सतयुग के आरंभ के समय बताई गई है इस बात से कल्कि अवतार के जन्म समय के संदर्भ में निम्नलिखित बातें निकल कर सामने आती हैं |

पहली गुरु,सूर्य और चंद्रमा जब एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे तो कल्कि का जन्म होगा | पुष्य नक्षत्र कर्क राशि के अंतर्गत है (चंद्रमा जन्म के समय जिस राशि के नक्षत्र में हो व्यक्ति विशेष की जन्म राशि और नक्षत्र वही होता है ) कल्कि के जन्म की राशि कर्क और जन्म नक्षत्र पुष्य होगा |

दूसरा सूर्य कर्क राशि के पुष्य नक्षत्र में 19 जुलाई से 1 अगस्त की अवधि में रहते हैं अतः कल्कि का जन्म 19 जुलाई से 1 अगस्त के मध्य होगा |

तीसरा सूर्य और चंद्रमा का एक साथ एक नक्षत्र एवं राशि में प्रवेश करने का अर्थ है उस समय अमावस्या या उसके आसपास का समय होना अर्थात कल्कि का जन्म अमावस्या अथवा अमावस्या के आसपास होगा जिससे शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा भी संभव है यद्यपि वर्तमान में श्रावण शुक्ल पंचमी को कल्कि जयंती मनाई जाती है परंतु इस प्रमाण से यह तिथि मेल नहीं खाती है |

बृहस्पति गोचर भ्रमण करते हुए लगभग प्रत्येक 12 वर्ष में एक राशि पर पुन: आते हैं |किसी श्रेष्ठ गणना करने वाले सॉफ्टवेयर की मदद से अगर यह पता लगाया जा सके कि गुरु कर्क राशि में किस वर्ष 19 जुलाई से 1 अगस्त की अवधि में होंगे,जिसके बीच चंद्रमा का संचार भी उस अवधि में कर्क राशि के पुष्य नक्षत्र से हो तो कल्कि अवतार का संभावित समय जाना जा सकता है |

कोई टिप्पणी नहीं: