शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

आत्महत्या मंगल चन्द्र केतू.........6

आत्महत्या मंगल चन्द्र केतू.........6

1)12/10/2016 को दिल्ली के एक युवक ने 16 वी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी | इस दिन चन्द्र मंगल राहू के नक्षत्र मे जिसके सामने केतू हैं |

2)14/10/2016 को देश मे आत्महत्या की तीन घटनाए हुई |
1)कोटा राजस्थान मे एक 16 वर्षीय छात्र ने पढ़ाई के दवाब के चलते चंबल नदी मे कूद कर आत्महत्या करी |
2)दिल्ली मे एक 44 वर्षीय महिला ने स्वयं को आग लगाकर आत्महत्या करी |
3)दिल्ली मे ही एक व्यक्ति ने सिविल लाइन स्टेशन मे मेट्रो के आगे कूदकर अपनी जान दे दी |

इस पूरे दिन चन्द्र केतू शनि की राशि मे हैं और शनि स्वयं मंगल की राशि मे हैं |

3)28/10/2016 को श्रीनगर मे एक फौजी ने छुट्टी ना मिलने पर खुद को गोली मारकर अपनी जान ले ली वही मेरठ मे एक प्रेमी युगल ने घरवालो के विरोध के चलते जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली |

4)29/10/2016 को जालंधर मे एक 65 वर्षीय व्यक्ति ने अज्ञात कारणो से रेल से कटकर अपनी जान दे दी |

इन दोनों दिन मंगल गुरु की राशि मे हैं जो चन्द्र संग हैं वही मंगल की राशि मे शनि हैं तथा शनि की राशि मे केतू हैं |

5) 30/10/2016 को दिल्ली मे एक 40 वर्षीय पुलिस कांस्टेबल ने अज्ञात कारणो से खुद को गोली मारकर आत्महत्या करी |

6)31/10/2016 को दिल्ली के कड़कड़डुमा इलाके मे एक 19 वर्षीय नौकरानी ने चौथी मंज़िल से कूद कर अपनी जान दे दी |

इन दोनों दिन चन्द्र सूर्य संग हैं जो राहू के नक्षत्र मे हैं जिसके सामने केतू हैं केतू भी राहू नक्षत्र मे ही हैं तथा मंगल सूर्य के नक्षत्र मे हैं |

7)2/11/2016 को दिल्ली मे एक सेवानिवृत सिपाही ने जहर खाकर अपनी जान दी तथा वही नोएडा मे एक व्यक्ति ने माँल की तीसरी मंज़िल से कूदकर अपनी जान दे दी इस पूरे दिन चंद्र शनि संग हैं तथा मंगल व केतू शनि राशी मे हैं |


बुधवार, 23 नवंबर 2016

मेड फॉर ईच अदर .............2

मेड फॉर ईच अदर .............2

2)7/7/1972 6:00 दिल्ली मे जन्मे इस मिथुन लग्न के जातक की पत्रिका मे सप्तमेश गुरु अपनी ही धनु राशि मे वक्री अवस्था मे हैं जो जातक की पत्नी का धार्मिक व विद्वान होना बताता हैं वही उस पर सूर्य की दृस्टी उसके सरकार द्वारा लाभ प्राप्ति भी बताती हैं | गुरु केतू के नक्षत्र मे हैं जो दूसरे भाव मे कर्क राशि मे हैं जिसका स्वामी चन्द्र ऊंच राशि का होकर  द्वादश भाव मे हैं जो पत्नी द्वारा विदेश अथवा अस्पताल से धन अर्जन करना बताता हैं | स्त्री कारक शुक्र को देखे तो वो भी द्वादश भाव मे अपनी ही राशि का हैं जो फिर से अस्पताल या विदेश दर्शाता हैं इसी आधार पर गुण मिलान के समय समय इन्हे बताया गया की लड़की अस्पताल या विदेश से संबन्धित होगी जो सरकार से लाभ प्राप्त करती हो सकती हैं और ऐसा ही हुआ | प्रस्तुत जातक की पत्नी सरकारी अस्पताल मे नर्स का कार्य करती हैं | जातक का लग्नेश बुध का लाभेष संग धन भाव मे होना तथा लग्न मे सूर्य का होना उसके सरकारी बैंक के कार्यरत होने की पुष्टि स्पष्ट रूप से कर रहे हैं |

2/8/1977 16:35 दिल्ली मे जन्मी इस धनु लग्न की जातिका के सप्तम भाव पर देखे तो मिथुन राशि पड़ती हैं जो जातिका के पति के लग्न हेतु उपयुक्त दिखाई पड़ती हैं बुध का नवम भाव मे सूर्य की राशि मे होना पति का सरकार द्वारा लाभ व व्यापारिक संस्थान से जुड़ा होना बताता हैं वही सप्तम भाव मे गुरु ( लग्नेश चतुर्थेश ) व  शुक्र (लाभेष व षष्ठेश) का होना जातिका के पति का उसकी ही जाति का विद्वान व पढ़ा लिखाकर होकर धन क्षेत्र से जुड़ा होना दर्शाते हैं जातिका का पति जिसकी पत्रिका ऊपर दी गयी हैं सरकारी बैंक मे कार्यरत हैं | वही जातिका की पत्रिका का द्वादशेश (अस्पताल कारक) मंगल छठे भाव से कर्मेश बुध को तथा लग्न व द्वादश भाव को दृस्टी देकर जातिका के अस्पताल मे काम करने की पुष्टि करता हैं | वही कर्म भाव मे स्थित राहू का मंगल के नक्षत्र मे होना कार्य का द्वादश भाव से संबन्धित होना पूर्ण कर रहा हैं |


प्रस्तुत जातक जातिका के विवाह को 12 वर्ष पूर्ण हो गए हैं इनकी 2 संताने भी हैं वैवाहिक जीवन मे कोई परेशानी नहीं हैं |

मंगलवार, 15 नवंबर 2016

मेड फॉर ईच अदर....1

मेड फॉर ईच अदर....1

हमारे भारतीय समाज मे स्त्री-पुरुष के काम संबंधी जीवन को भ्रस्ट व व्यभिचार से बचाने के लिए विवाह जैसा एक बंधन बनाया गया हैं जिसे विवाह संस्कार के रूप मे देखा जाता हैं किसी भी स्त्री व पुरुष को अपनी यौन आवश्यकताओ की पूर्ति हेतु विवाह बंधन मे बंधना ही पड़ता हैं हमारे यहाँ यह भी माना जाता है की विवाह जैसा संबंध ऊपर स्वर्ग मे ही तय हुआ होता हैं जिसकी संप्रीति हम आप नीचे इस धरती पर करते हैं जिसके अनुसार यह माना जाता हैं की किस स्त्री व पुरुष का विवाह किस-किस स्त्री पुरुष से होगा अथवा कौन किसका जीवन साथी बनेगा यह पहले से ही ईश्वर के द्वारा हमारे पिछले जन्मो के कर्मो से तय किया गया होता हैं धरती पर इंसान केवल उसकी पूर्ति करने के लिए ही जन्म लेते हैं तथा उसके अनुसार ही अपने वैवाहिक जीवन के संबंधो व कर्मो को भोगता हैं |

हमारे भारतीय ज्योतिष शास्त्रो मे ऐसे कई सूत्रो व उदाहरणो का उल्लेख हैं जो यह बताते व दर्शाते हैं की जातक-जातिका विशेष के पत्नी-पति किस प्रकार के,कैसे व कहाँ के होंगे,जातक जातिका का वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा | जिससे अनुमानित रूप से काफी हद तक पहले से ही ज्ञात हो जाता हैं की अमुक जातक का विवाह किस प्रकार,किससे व कैसे हो सकता हैं |

अपने इस प्रस्तुत लेख मे हम ऐसे ही कुछ उदाहरणो का उल्लेख करेंगे जिनसे विवाह होने से पहले व बाद मे यह स्पष्ट हुआ हैं की पति पत्नी किस प्रकार से एक दूसरे के पूरक साबित हुये हैं और उन्होने यह साबित किया की जोड़िया अथवा विवाह स्वर्ग मे ही तय हुआ होता हैं तथा वह सच मे ही मेड फॉर ईच अदर हैं अपने इस प्रयास मे हमने लगभग 50 ऐसी कुण्डलिया ली हैं जिनका विवाह हुये 10 वर्ष या उससे अधिक हो गए हैं |

आइए अब कुछ उदाहरण देखते हैं |

1)प्रस्तुत पत्रिका की जातिका का जन्म 30/11/1977 को 22:30 बजे पौड़ी गढ़वाल मे हुआ था जातिका का कर्क लग्न हैं जिसमे सप्तमेश शनि दूसरे भाव मे हैं जो जातिका जहां रहती हैं वही विवाह होना बताता हैं शनि सूर्य की राशि मे हैं जो पंचम भाव मे हैं विवाह कारक शुक्र भी पंचम भाव मे ही हैं जिससे ज्ञात होता हैं की जातिका के पति का पंचम भाव  (शिक्षा,बच्चो) आदि से संबंध हो सकता हैं (जातिका का पति शिक्षक हैं जो गणित विषय के साथ वर्तमान मे ज्योतिष भी पढ़ाता हैं ) सप्तम भाव पर मंगल व चन्द्र का प्रभाव हैं जिससे जातिका के पति के तुनकमिजाज व गुस्सैल होने की पुष्टि होती हैं (जातिका का पति ऐसा ही हैं ) 

प्रस्तुत पत्रिका जातिका के पति की हैं जिसका जन्म 8/2/1971 3:20 देहरादून मे हुआ था वृश्चिक लग्न की इस पत्रिका मे सप्तमेश शुक्र दूसरे भाव मे ही हैं जो पूर्व की भांति एक ही स्थान मे विवाह होना बताता हैं शुक्र गुरु की राशि मे हैं जो पंचमेश हैं और जिसकी दृस्टी पंचम भाव मे भी हैं जो जातक की पत्नी का शिक्षा व बच्चो से संबंध बताता हैं (पत्नी शिक्षिका रही हैं ) सप्तम भाव मे मंगल व गुरु का प्रभाव हैं जो जातक की पत्नी का गुस्सैल व विदुषी होना बताता हैं (जातक की पत्नी ऐसी ही हैं )

विवाह से पहले यह दोनों एक दूसरे को जानते तक नहीं थे इन दोनों का विवाह 22/6/2003 को पारिवारिक सहमति से हुआ था जिसे अब 12 वर्ष से अधिक हो गए हैं इनकी दो संताने एक पुत्र व एक पुत्री हैं इनके वैवाहिक जीवन मे किसी भी प्रकार की कोई बाधा अथवा परेशानी नहीं हैं |

  

शनिवार, 5 नवंबर 2016

विशोन्तरी दशा और ग्रह

विशोन्तरी दशा और ग्रह

हम हिन्दुओ के पवित्र ग्रंथ गीता मे भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की इस भौतिक जगत मे प्रत्येक प्राणी अपनी बालावस्था से जवान होते हुये बुढ़ापे को प्राप्त करता हैं तथा इन तीनों अवस्थाओ मे वह निरंतर ज्ञान अर्जन कर अपना जीवन यापन करता रहता हैं | ज्योतिषीय परिपेक्ष मे इन तीनों अवस्थाओ का यदि ग्रहो से निर्धारण करे तो यह हमे क्रमश: बुध, मंगल व शनि ग्रह से संबन्धित अवस्थाए प्राप्त होती हैं | इन ग्रहो को विशोन्तरी दशा मे सूर्य का सबसे तेज भ्रमण करने वाले ग्रह बुध से तथा सबसे धीमे भ्रमण करने वाले ग्रह शनि से एक प्रकार का संबंध बना हुआ दिखाई देता हैं चूंकि हमारे मानव शरीर मे आत्मा भी तेज चलने वाले पिंड से धीमे चलने वाले पिंड की और जाती हैं इसी कारहमारे शास्त्रो मे दिया जाने वाला ग्रहो का दशा क्रम भी हमारे विद्वानो द्वारा इससे काफी समानता रखता दर्शाया गया हैं |

सूर्य से देखे तो दूरी के अनुसार बुध,शुक्र,पृथ्वी,मंगल,गुरु तथा शनि ग्रह का क्रम आता हैं चूंकि हम स्वयं पृथ्वी से यह क्रम देख रहे होते हैं और पृथ्वी का अपना एक उपग्रह चन्द्र भी हमारे चारो और भ्रमण कर रहा होता हैं इसलिए उसे भी इस ग्रह प्रणाली मे शामिल कर लिया गया | जहां चन्द्र हमारी पृथ्वी के अक्ष को काटता हैं उन दो बिन्दुओ को राहू व केतू की संज्ञा दी गयी हैं आंतरिक ग्रहो की तरफ होने वाले कटान को केतू व बाहरी ग्रहो की तरफ होने वाले कटान को राहू की संज्ञा दी गयी हैं |


इन सभी को क्रमानुसार रखने पर व पृथ्वी से देखने पर आंतरिक ग्रहो (सूर्य,चन्द्र,बुध,शुक्र व केतू ) की दशा अवधि 60 वर्ष बन जाती हैं ठीक इसी प्रकार बाहरी ग्रहो की दशा अवधि भी 60 वर्ष बन जाती हैं जिससे कुल दशा अवधि 120 वर्ष की हो जाती हैं | जिसे हमारे विद्वानो ने विशोन्तरी दशा क्रम का नाम दिया हैं जिसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे ग्रहो से संबन्धित दशा चलती रहती हैं और फल प्राप्ति होती हैं