शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

शनि का गोचरीय प्रभाव

शनि का गोचरीय प्रभाव


शनि ग्रह सबसे बड़े व धीमी गति के होने के कारण धरती पर अपना सबसे ज़्यादा प्रभाव डालते हैं गोचर मे भ्रमण करते हुये यह एक साथ 6 राशियो पर अपना नियंत्रण रखते हैं जिस कारण इनका फलित ज्योतिष अपना अलग ही महत्व रहता हैं प्रस्तुत लेख मे हमने इन्ही शनी के गोचरीय प्रभाव का अध्ययन करने का प्रयास किया हैं तथा यह भी समझाने का प्रयास किया हैं किस प्रकार शनि एक विशेष राशि अंश मे क्या गोचरीय प्रभाव देते हैं |

अनुभवो से ज्ञात होता हैं की शनि मंगल व राहू गोचर मे अपना शुभ फल लग्न से 62 अंश के बिन्दु पर होने पर देते हैं जबकि अन्य अंशो के बिन्दु मे होने पर यह सभी ग्रह अपना अशुभफल प्रदान करते हैं | गुरु ग्रह इसी अंश के बिन्दु पर अपना सर्वोत्तम शुभ फल प्रदान करते हैं जबकि अन्य अंशो के बिन्दुओ पर केवल शुभफल ही देते हैं तथा लग्न से 200 अंश के बिन्दु मे गुरु अशुभ फल देते हैं |

जन्म लग्न से शनि का गोचर जातक विशेष के मस्तिष्क को कुंद करता हैं जातक की सेहत खराब होने लग जाती हैं तथा लंबा व बड़ा रोग होने की संभावना बढ  जाती हैं (टी॰बी जैसे रोग इस दौरान ज़्यादा पाये जाते हैं ) जातक को दुर्घटनाओ का भय होने लगता हैं | स्त्री जातको मे इस समय प्रेम संबंधो मे निराशा,तलाक,विधवापना जैसी परेशानियाँ देखी गयी हैं | ऐसा नहीं हैं की यह गोचर सारे अशुभ प्रभाव ही देता हैं हमने यह भी अपने अनुभव मे पाया की जो जातक तुला,मकर या कुम्भ लग्न के थे उन्हे शनि के इस गोचर ने शुभ फल भी प्रदान किए इसके अतिरिक्त जिनकी पत्रिका मे शनि शुभ अवस्था मे थे उन्हे शनि के इस गोचर ने बीमारी से मुक्ति,स्त्री सुख व स्त्री मिलन जैसे सुख भी प्रदान किए ( जिनकी पत्नीया उनसे दूर रहती हो वह वापस आ जाती हैं ) इसी प्रकार के नतीजे मंगल,सूर्य राहू केतू के लग्न से गोचर करने पर भी पाये गए |

यदि गोचरीय शनि को मंगल प्रभाव दे रहा हो तो जातक को बुरे वक़्त से गुजरना पड़ता हैं उसे आलोचना का शिकार होना पड़ता हैं यदि शनि पर शुभ ग्रह का प्रभाव हो तो जातक को उसकी ईमानदारी का शानदार इनाम मिलता हैं यही वह समय होता हैं जब जातक समाज मे अपना ऊंचा स्थान पा जाता हैं |

जब शनि लग्न से 60 अंश पर से गुजरता हैं तब जातक को ज़मीन जायदाद एवं व्यापार संबंधी लाभ प्राप्त होते हैं ज़मीन से किसी भी प्रकार जुड़े व्यक्तियों को बहुत लाभ मिलता हैं घर से गए व्यक्ति,गायब हुये व्यक्ति वापस अपने घर आ जाते हैं | यदि यह शनि मंगल के प्रभाव मे हो तो जातक के छोटे भाई बहनो के स्वस्थ्य की हानी होती हैं रिश्तेदारों व पड़ोसियो से तनाव पैदा करता हैं,यदि इस शनि को गुरु ग्रह देख रहा हो तो परिवार मे सुखो की वृद्दि होती हैं संतान का जन्म होता हैं |लेखको के लिए यह समय अति शुभ होता हैं राजनीति से जुड़े लोगो की समस्या का समाधान होता हैं | कला से जुड़े व्यक्तियों,कलाकारो का सम्मान होता हैं तथा धरती पर दुधारू पशुओ की वृद्दि होती हैं |

जब शनि गोचर मे लग्न से 90 अंशो से गुजरता हैं जातक विशेष को अचानक हानी का सामना करना पड़ता हैं माता या मात्रपक्ष के किसी परिजन की मृत्यु हो जाती हैं कोर्ट कचहरी के चक्करो के कारण अनावशयक खर्च होता हैं धन हानी के साथ साथ स्थान परिवर्तन भी होता हैं यदि यह शनि शुभ ग्रह के प्रभाव मे होतो इन सभी अशुभफलों मे कमी होकर जातक को धनप्राप्ति व नई परिस्थितियो,उम्मीदों का सामना करना पड़ता हैं |

लग्न से 120 अंशो पर गोचर करने पर शनि संबंधो को तोड़ने का कार्य करता हैं संतान को कष्ट व स्वस्थ्य हानी होती हैं कुछ अवस्थाओ मे बड़े बच्चे अपने माता-पिता की अवहेलना भी करने लगते हैं ( हमने अपने अनुभव मे ऐसा पाया हैं ) यदि इस शनि पर कोई शुभ ग्रह प्रभाव डाल रहा होतो जातक तीर्थयात्रा व धार्मिक शिक्षा का अध्यापन करता हैं यदि यह शनि स्वग्रही हो या शुभ होतो राजनीतिज्ञो को अपने शत्रुओ पर विजय दिलाता हैं और यदि इस शनि पर पाप प्रभाव हो तो बड़ो के द्वारा दंड,कानून द्वारा सज़ा,विस्थापन,मृत्यु तथा घर वालो को बीमारी जैसे फल प्राप्त होते हैं इस गोचर से व्यापारियो व कारोबारियों को नुकसान होता हैं स्त्री जातको को विवाह मे बाधाए व पति सुख मे कमी जैसे फलो का सामना करना पड़ता हैं मजदूर वर्ग हड़ताल जैसी समस्यायों का सामना करता हैं चोटिल होता हैं |

शनि का लग्न के 180 अंशो पर गोचर जातक विशेष को पत्नी की स्वस्थ्य हानी,परीक्षा मे असफलता,किसी इल्ज़ाम मे फंसना,नौकरो से मतभेद,तथा पालतू जानवरो की हानी जैसे फल देता हैं |

जब शनि का गोचर लग्न से 199 अंश पर होता हैं तब जातक विशेष को पत्नी की हानी,संपत्ति बंटवारा,स्वयं के आस्तित्व पर संदेह,नौकरी मे अवनति,जैसे फल प्राप्त होते हैं अगर इस शनि के गोचर पर पाप प्रभाव होतो जातक को अवसाद,असहयोग,नकारात्मक सोच के कारण आत्महत्या जैसे विचार आते हैं |       









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