रविवार, 21 अप्रैल 2013


अशुभ ग्रहो को शुभ बनाए
लाल किताब ज्योतिष के अनुसार किस भाव मे कौन सा ग्रह अशुभ होता हैं और उसका क्या उपाय साधारणत: किया जाना चाहिए यह हमने इस लेख मे समझाने का प्रयास किया हैं आशा हैं पाठकजन इससे ज़रूर लाभान्वित होंगे |
गुरु ग्रह को लाल किताब 6,7,10 व 11वे भाव मे अशुभ मानती हैं ऐसे मे जातक यदि उससे जुड़े कुछ नियम व उपाए कर ले तो गुरु ग्रह अपनी अशुभता छोड़ शुभ फल प्रदान करने लगते हैं |
6 भाव-धन के लिए किसी के आगे हाथ ना फैलाये |
7 भाव-घर मे मंदिर ना बनाए,मूर्ति पूजन ना करे,धार्मिक पुस्तके व पीले वस्त्र न रखे |
10 भाव-रविवार को छोड़ कर पीपल के वृक्ष पर प्रतिदिन जल चढ़ाये |
11 भाव-अंडा व अंडे से बनी वस्तु ना खाये |

सूर्य ग्रह को 6,7 व 10वे भाव मे अशुभ माना गया हैं |
6 भाव-दूसरों के सामने अपनी समस्या न प्रकट करे,पश्चिम दिशा के मकान मे ना रहे |
7 भाव-सब से नम्रता पूर्वक व्यवहार करे,पानी पीकर ही हर कार्य किया करे |
10 भाव-सिर पर हमेशा सफ़ेद रंग की टोपी धारण करे |

चन्द्र ग्रह को 6,8,10,11 व 12वे भाव मे अशुभ फल प्रदानकर्ता माना गया हैं |
6,10 भाव-रात्री को दूध का सेवन ना करे |
8 भाव-पितरों के नाम से श्राद कर्म करे तथा हर अमावस्या को दूध दान करे |
11 भाव-सूर्योदय के समय दान ले न दे,रात्री को पुजा पाठ,कीर्तन,जागरण ना करे ना सुने,बुधवार को नया काम ना करे,शुक्रवार को परिवार मे किसी का विवाह ना करे,शनिवार को मकान,वाहन व मशीन ना खरीदे |
12 भाव-छत के नीचे हैंडपंप इत्यादि ना लगाए |

मंगल ग्रह को 4 व 8 भावो मे अशुभ माना गया हैं |
4 भाव-दक्षिण दिशा वाले मुख्यद्वार के मकान मे ना रहे,बंदर की सेवा करे |
8 भाव-कुत्तो को मीठी तंदूरी रोटी खिलाये |

बुध ग्रह को 3,8,9,10,1112 भावो मे अशुभ माना गया हैं |
3 भाव- चौड़े पत्ते वाले वृक्ष घर पर ना लगाए |
8 भाव-मिट्टी का खाली बर्तन,लाल कपड़े व चुन्निया घर पर ना रखे |
9 भाव-गाने बजाने का समान,रेडियो,घड़ी इत्यादि ठीक रखे खराब ना होने दे |
10 भाव-शराब व मांस प्रयोग ना करे,तुलसी व मनीप्लांट घर पर ना लगाए |
11 भाव-ताबीज,भभूति प्रयोग ना करे,तांबे का पैसा छेद कर गले मे धारण करे |
12 भाव- स्टील का छल्ला (बिना जोड़ वाला) मध्यमा उंगली मे धारण करे |

शुक्र ग्रह को 1,6 व 9 भाव मे अशुभ माना गया हैं |
1 भाव-परस्त्री/परपुरुष से संबंध ना रखे |
6 भाव-केवल एक संतान वाले परिवार से विवाह संबंध ना करे,नंगे पैर ना चले,बारिश का पानी चांदी डालकर  घर पर कायम रखे |
9 भाव-नीम के पेड़ पर चाँदी के 9 चकोर टुकड़े दबाये |

शनि ग्रह को 1,4,5 व 6 भावो मे अशुभ माना गया हैं |
1 भाव-परिवार मे खुशी के समय ढ़ोल नगाड़े ना बजाए |
4 भाव- मजदूर की मदद करे,काले वस्त्र ना पहने |
6 भाव-चमड़े का कोई भी नया समान उसी समय ना पहनकर 6 दिन बाद पहने |

राहू ग्रह को 1,5,7,8,9,10,11 व 12 वे भावो मे अशुभ माना गया हैं |
1 भाव-बिल्ली की जेर खाकी कपड़े मे बांधकर अपने पास रखे |
5 भाव-चल-चलन सही रखे |
7 भाव-कुत्ता ना पाले |
8 भाव-दक्षिण दिशा की और रसोई ना बनाए |
9 भाव-सोना धारण करे व मंदिर जाते रहे |
10 भाव-सिर हमेशा ढक कर रखे |
11 भाव-नीला रंग प्रयोग ना करे |
12 भाव-भोजन रसोई मे ही करे व घर पर धुआं न करे |

केतू ग्रह को 3,4,5,6,व 8 भाव मे अशुभ माना गया हैं |
3 भाव –सोना धारण करे |
4 भाव-कुल पुरोहित से आशीर्वाद ले |
5 भाव- इमली धर्मस्थान मे दे |
6 भाव सोने की अंगूठी बाए हाथ मे अनामिका मे पहने |
8 भाव-घर की छत पर कुत्ता ना पाले ना जाने दे |
इस प्रकार सभी ग्रहो की अशुभता को कम कर उनसे शुभ फल प्राप्त किया जा सकता हैं |

रविवार, 14 अप्रैल 2013

कैसे व किससे मिलेगा लाभ


कैसे व किससे मिलेगा लाभकैसे व किससे मिलेगा लाभ

हमारे बहुत से व्यापारी पाठक यह जानने का प्रयास करते रहते हैं की किस क्षेत्र मे अपना धन लगाया जाये जिससे की उन्हे बहुत कम समय मे ज़्यादा से ज़्यादा लाभ प्राप्त हो सके प्रस्तुत लेख मे हमने ऐसे ही कुछ ज्योतिषीय सूत्रो को बताने का प्रयास किया हैं आशा हैं इन सूत्रो के माध्यम से हमारे पाठकजन अवश्य ही लाभान्वित होंगे |

हमारे ज्योतिषीय शास्त्रो के अनुसार जन्मकुंडली का एकादश भाव हमारा लाभ स्थान कहलाता हैं जो गृह इस एकादश भाव मे हो या इसे दृस्टी दे रहा हो उस गृह से संबंधित वस्तुओ के क्षेत्र मे काम करने से या उन क्षेत्रों से संबन्धित कंपनी के शेयर या म्युचअल फंड मे निवेश करने से लाभ की संभावना बन जाती हैं |

यदि आपका लाभकर्ता गृह सूर्य हैं तो आप अपने पिता के नाम से सरकारी कंपनी,गोल्ड का कार्य करने वाली कंपनी,बिजली,अग्नि,सैन्य कार्य,अन्न क्षेत्र व चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियो मे निवेश कर धन लाभ पा सकते हैं |

लाभकर्ता गृह यदि चन्द्र हो तो अपनी माँ के नाम से जलीय पदार्थ,समुद्री कार्य,रसपूर्ण पदार्थ,दूध व दूग्ध पदार्थ,कृषि क्षेत्र,पर्यटन क्षेत्र,रक्त संबंधी चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी हुई कंपनियो मे धन लगाकर लाभ पाया जा सकता हैं |

लाभकर्ता गृह मंगल हो तो अपने भाईयो के नाम से सैन्य विभाग,अग्नि क्षेत्र,हथियार व आतिशबाज़ी क्षेत्र,चिकित्सक औज़ारो से जुड़े क्षेत्रों से जुड़ी हुई कंपनियो मे निवेश कर लाभ पाया जा सकता हैं |

यदि लाभ कर्ता गृह बुध हो तो अपनी बहनो के नाम से बैंकिंग,ट्रेडिंग,बीमा,पब्लिसिंग,छपाई,संचार क्षेत्रों से जुड़ी हुई कंपनियो मे धन लगाकर लाभ पा सकते हैं |

यदि लाभकर्ता गृह गुरु हो तो गुरु तुल्य बड़े व्यक्ति या अपने गुरु के नाम से वस्त्र उद्योग,भवन निर्माण,शिक्षा निर्माण व कानून क्षेत्र,धार्मिक व सामाजिक क्षेत्र,चिकित्सा क्षेत्र,अध्यात्म व दार्शनिक क्षेत्र से जुड़ी कंपनीया  आपको लाभ दिला सकती हैं |

यदि आपका लाभ कर्ता गृह शुक्र हैं आप अपनी पत्नी या किसी स्त्री के नाम से होटल,संगीत,वस्त्र,डिजायनिंग,आभूषण,मिस्ठान,सिनेमा,सौन्दर्य-प्रसाधन,ऊनी-वस्त्र,परफ्यूम,भोग-सामग्री,खाद्य पदार्थ से जुड़ी हुई कंपनियो मे धन लगाकर लाभ पा सकते हैं |

यदि लाभ कर्ता गृह शनि हो तो नौकर या वृद्ध व्यक्ति के नाम से लोहा-इस्पात,गैस,सीमेंट,चमड़ा,खनन, कोयला,ज़मीन से जुड़ी वस्तुओ का कार्य करने वाली कंपनियो मे निवेश कर लाभ पाया जा सकता हैं |

यदि लाभ कर्ता गृह राहू हो तो अपने दादा या नाना के नाम से शराब,स्पिरिट,रेल,वायु,तकनीकी,अभियांत्रिकी,विज्ञापन,संचार आदि से जुड़ी कंपनियो मे से लाभ प्राप्त कर सकते हैं |

यदि लाभ कर्ता गृह केतू हो तो पुत्र या भतीजे के नाम से रबर,पर्यटन,ट्रांसमीटर,टायर ट्यूब्स,प्लास्टिक,बिजली,विस्फोटक,सूक्ष्म यान्त्रिकी के क्षेत्रों से जुड़ी हुई कंपनियो मे निवेश कर धन लाभ प सकते हैं |

किस कंपनी से लाभ होगा यह जानने मे भी ज्योतिष हमारी मदद कर सकता हैं जिससे हम यह जान सकते हैं की व्यक्ति विशेष कौन सी कंपनी मे लेन-देन करे की उसे लाभ प्राप्त हो सके | इसके लिए हमे नामाक्षरो द्वारा वर्ग जानना पड़ता हैं |

1) अ से अ: तक गरुड वर्ग

2) क ख ग घ ड –मार्जार वर्ग

3) च छ ज झ ज्ञ –सिंह वर्ग

4) ट ठ ड ढ ण –स्वान वर्ग

5) त थ द ध न –सर्प वर्ग

6) प फ ब भ –मूषक वर्ग

7) य र ल व –मृग वर्ग

8) श ष क्ष ह स त्र ज्ञ –मेढ़ा वर्ग

इस वर्ग से यह जाने की जिस व्यक्ति या कंपनी से आप लेन देन कर रहे हैं उसका नामाक्षर आपके नामाक्षर से किस वर्ग मे पड़ता हैं यदि वह नामाक्षर आपके वर्ग से पंचम पड़ता हैं तो आपको उससे लेन देन नहीं करना चाहिए | जैसे राकेश नाम का व्यक्ति (मृग वर्ग) यदि जयति टेक्सटाइल(सिंह वर्ग)पर धन लगाएगा तो वह लाभ नहीं पा सकेगा क्यूंकी यह नाम(जयति) उसके नाम(राकेश) से पांचवे वर्ग मे पड़ता हैं |

एक अन्य विधि द्वारा भी हम यह जान सकते हैं की कौन सी कंपनी या व्यक्ति द्वारा हमे लाभ मिलने की संभावना रहेगी | इसके लिए हमे जिस वर्ग मे हमारा नाम आता हैं उसे दुगना कर दूसरे व्यक्ति के नाम के अक्षर के वर्ग को उसमे जोड़ना होता हैं जो संख्या आती हैं उसे 8 से भाग देकर शेष को रख ले इसी प्रकार दूसरे व्यक्ति के नाम वर्ग को दुगना कर अपना वर्ग उसमे जोड़ कर 8 से भाग देकर शेष रख ले जिसका शेष अधिक होगा वह दूसरे व्यक्ति का ऋणी होगा जो उसे चुकाएगा |
आइये इसे ऐसे समझते हैं अशोक (गरुड वर्ग ) रीता गारमेंट(मृग वर्ग) के शेयर लेना चाहता हैं | अशोक का योग 1*2=2+7=9/8=1 तथा रीता गारमेंट का योग 7*2=14+1=15/8=7 आता हैं स्पष्ट हैं की रीता गारमेंट का योग ज़्यादा होने से वह अशोक की पूर्व जन्मो की कर्जदार हैं जो उसे इस जन्म मे लाभ प्रदान करेगी इसलिए अशोक को इस कंपनी के शेयर अवश्य ही लाभ प्रदान करेंगे |





गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

निरापद निवास के लिए पाँच नामो का स्मरण




निरापद निवास के लिए पाँच नामो का स्मरण –राजा भोज कृत समरांगण सूत्रधार के दूषण भूषण अध्याय मे ऐसे कई 

कर्तव्यो का उल्लेख हैं जो प्रत्येक ग्रहस्थ के लिए ज़रूरी हैं वस्तुमंडन के रचयिता सूत्रधार मंडन ने भी वस्तु नियम के पालन के बाद परिवार को घर मे नियमित पुजा,तीनों काल की संध्या,अतिथि सेवा,गौ सेवा आदि यज्ञों का निर्देश दिया हैं |
वस्तुपूजन मे सुग्रीव को देवतुल्य आदर दिया गया हैं |राम स्वभुजबल और आत्मविकास के पर्याय हैं सीता शक्ति हैं और लक्ष्मण व हनुमान निष्काम सहयोगी भाई समान मित्र का बोध कराते हैं |सुग्रीव जीवन मे होने वाले तमाम समझौतो व संधियो की पूर्णता करवाने वाले हैं | चौसठ व इक्यासी वास्तु पुरुष चक्र से लेकर सहस्त्रपद तक वास्तुपद मे सुग्रीव को एक देव के रूप मे स्थापित किया जाता हैं

इसी क्रम मे पद्मपुरान मे कहा गया हैं –

रामलक्ष्मणों सीता च सुग्रीवों हनुमान कपि: |
पंचेतान स्मरतों नित्यं महाबाधा प्रमुच्यते ||

इसी प्रकार किसी भी प्रकार की व्याधियों के विनाश के लिए निम्न श्लोक का प्रतिदिन स्मरण करने से व्याधियो का शमन हो जाता हैं |

सोमनाथों वैधनाथों धन्वन्तरिरथाश्वनौ |
पंचेतान य: स्मारेनित्यं व्याधिस्तस्य न जायते ||

प्रतिदिन हनुमान के 12 नामो का स्मरण करने से भी दुखो का अंत होता हैं |

अंजनी सुत,वायु पुत्र,फाल्गुन सख,महाबली,अमित विक्रम,सीता शोक विनासन,रामेष्ट,उदधि क्रमण,लक्ष्मण प्राणदाता,हनुमान,दशग्रीव दर्पहा,पिंगाक्ष –राजा भोज कृत समरांगण सूत्रधार के दूषण भूषण अध्याय मे ऐसे कई कर्तव्यो का उल्लेख हैं जो प्रत्येक ग्रहस्थ के लिए ज़रूरी हैं वस्तुमंडन के रचयिता सूत्रधार मंडन ने भी वस्तु नियम के पालन के बाद परिवार को घर मे नियमित पुजा,तीनों काल की संध्या,अतिथि सेवा,गौ सेवा आदि यज्ञों का निर्देश दिया हैं |

वस्तुपूजन मे सुग्रीव को देवतुल्य आदर दिया गया हैं |राम स्वभुजबल और आत्मविकास के पर्याय हैं सीता शक्ति हैं और लक्ष्मण व हनुमान निष्काम सहयोगी भाई समान मित्र का बोध कराते हैं |सुग्रीव जीवन मे होने वाले तमाम समझौतो व संधियो की पूर्णता करवाने वाले हैं | चौसठ व इक्यासी वास्तु पुरुष चक्र से लेकर सहस्त्रपद तक वास्तुपद मे सुग्रीव को एक देव के रूप मे स्थापित किया जाता हैं

इसी क्रम मे पद्मपुरान मे कहा गया हैं –
रामलक्ष्मणों सीता च सुग्रीवों हनुमान कपि: |
पंचेतान स्मरतों नित्यं महाबाधा प्रमुच्यते ||

इसी प्रकार किसी भी प्रकार की व्याधियों के विनाश के लिए निम्न श्लोक का प्रतिदिन स्मरण करने से व्याधियो का शमन हो जाता हैं |
सोमनाथों वैधनाथों धन्वन्तरिरथाश्वनौ |
पंचेतान य: स्मारेनित्यं व्याधिस्तस्य न जायते ||
प्रतिदिन हनुमान के 12 नामो का स्मरण करने से भी दुखो का अंत होता हैं |
अंजनी सुत,वायु पुत्र,फाल्गुन सख,महाबली,अमित विक्रम,सीता शोक विनासन,रामेष्ट,उदधि क्रमण,लक्ष्मण प्राणदाता,हनुमान,दशग्रीव दर्पहा,पिंगाक्ष 

रविवार, 7 अप्रैल 2013

लाल किताब के फरमान


लाल किताब के फरमान

“समय करे,नर क्या करे,समय बड़ा बलवान|
असर ग्रह सब पर ही होगा परिंदा पशु इंसान ||

“हाथ रेखा को समुद्र गिनते,नजुमे फलक का काम हुआ|
इल्म क्याफा ज्योतिष मिलते,लाल किताब का नाम हुआ” ||

लाल किताब हैं ज्योतिष निराली,जो किस्मत सोई को जगा देती हैं|
फरमान पक्का देके बात आखिरी,दो लफ्जी से जहमत हटा देती हैं ||

शर्त राहू-केतू की सतवे भी तोडी,जन्म राशि भी वह मिटा देती हैं|
लग्न एक का हिंदसा लेकर जो चलती,खत्म 12 पर ही वह कर देती हैं ||

हैं बुनियाद रेखा क्याफा से चलती,फलादेश ज्योतिष बता देती हैं|
हवाई ख्यालो को यक तर्फ करती,खड़ा घोडा चंद्र को कर देती हैं ||

ना 28 नक्षत्र ना पंचांग गिनती,भुला राशि 12 को वह देती हैं|
सिर्फ पक्के घर 12 आखिर लेती,ग्रह 9 से किस्मत बता देती हैं||

जन्म वक़्त दिन माह उमर साल सब कुछ,इसम नाम को भी उड़ा देती हैं|
फख्त रेखा फोटो या कोठे से कुंडली,जन्म मय चंद्र बना देती हैं ||

लिखत जब विधाता किसी की हो शक्की,उपाय मामूली बता देती हैं|
ग्रह फल राशि के टुकड़े दो करती,यह रेखा मे मेखा लगा देती हैं ||