शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

शेयर बाजार द्वारा धन प्राप्ति


आप  हमारी इस पोस्ट को हमारे चैनल मे भी देख सकते हैं |

वर्तमान जगत मे धन,मुद्रा,पैसो का अत्यधिक महत्व हैं इसलिए आजकल के इस मौद्रिक युग मे प्रत्येक व्यक्ति येन केन प्रकारेण कम से कम समय मे ज़्यादा से ज़्यादा धन कमाना चाहता हैं | जबसे व्यापार के लिए कंपनियो का जन्म हुआ हैं तबसे कंपनिया शेयर इश्यू कर जनता से धन संग्रह कर उसे शेयर बाज़ार मे पंजीकृत करती हैं इन शेयरो के दाम बाज़ार के चलन के हिसाब से रोजाना घटते बढ़ते रहते हैं इन शेयरो को जानकार लोग खरीद व बेच कर कम समय मे ज़्यादा धन कमा सकते हैं परंतु इसके लिए आपको बाज़ार व कंपनीयो की जानकारी के अतिरिक्त स्वयं के भाग्य की भी जानकारी होनी चाहिए जिसमे आकस्मिक धन प्राप्ति के योग हैं की नहीं यदि आपकी पत्रिका मे धन प्राप्ति के योग नहीं हैं तो आप अवश्य ही शेयर बाज़ार मे हानी का सामना करेंगे |

प्राचीन शास्त्रो मे इस शेयर बाज़ार से संबंध मे कोई विवरण नहीं मिलता हैं परंतु आधुनिक ज्योतिष के विद्वानो ने कुछ योगो को ढूँढने का प्रयास किया हैं |

हम अपने इस लेख मे कुछ ऐसे योगो की जानकारी दे रहे हैं जिनके होने पर जातक शेयर बाजार मे कामयाब हो सकता हैं |

1) कुंडली मे पंचम,नवम व एकादश भाव का संबंध होना तथा इनके स्वामियों का मजबूत होना शेयर बाज़ार से लाभ करवाता हैं |

2) मंगल पंचमेश होकर लग्न,नवम अथवा एकादश भाव मे होतो जातक शेयर बाज़ार से लाभ प्राप्त करता हैं |

3) राहू लग्नेश पंचमेश संग केंद्र मे हो तथा लाभेष का संबंध शनि अथवा मंगल से हो |

4) एकादश भाव मे वृष अथवा कर्क राशि मे गुरु चन्द्र का प्रभाव हो |

5) यदि 11वे भाव का स्वामी 2रे,5वे,व 12वे भाव के कारकत्व बता रहा होतो शायर बाज़ार मे पैसा लगाना चाहिए |

6) राहु केतु का पांचवे अथवा 11 वे भाव मे होना विशेष रूप से पांचवें भाव में वृषभ/तुला का राहू होना तथा 11वे भाव मे मिथुन/धनु का राहू होना

7) तुला का शनि पांचवे/नवे/ग्यारहवें भाव में होना अथवा मकर का शनि ग्यारहवे भाव मे होना |

8) मंगल चन्द्र का संबंध कुंडली मे हो |

आइए अब कुछ कुंडलियाँ देखते हैं https://youtu.be/89L5TgE-5Sw

1)15/7/1958 4:30 मिथुन लग्न की इस पत्रिका मे पंचमेश शुक्र को नवमेश शनि को देख रहा हैं तथा एकादश स्वामी मंगल लाभ भाव मे स्थित होकर पंचम भाव राहू को दृस्टी दे रहा हैं | धनेश चन्द्र व लग्नेश बुध मे परिवर्तन हैं तथा मंगल लाभेष की लग्नेश बुध पर धन भाव मे तथा नवमेश शनि पर भी दृस्टी हैं | इन्ही सब कारणो से जातक शेयर बाज़ार मे ब्रोकर अथवा दलाल का काम करते हुये धनार्जन करता हैं |

सूत्र संख्या 1,5,6,8  

2)10/11/1961 22:02 कर्क लग्न की इस पत्रिका मे लग्नेश चन्द्र पंचमेश मंगल संग राहू से दृस्ट हैं तथा चन्द्र मंगल दोनों एकादश भाव को देख रहे हैं | केंद्र मे लाभेष शुक्र व धनेश सूर्य की युति हैं गुरु नवमेश की लाभ भाव व लग्न पर दृस्टी हैं | जिनके समस्त प्रभाव से जातक शेयर बाज़ार से अच्छा धन लाभ प्राप्त कर लेता हैं |

सूत्र संख्या – 2,3,4,5,8    

3)29/7/1954 10:20 मुंबई कन्या लग्न (हर्षद मेहता) की इस पत्रिका मे पंचम भाव के स्वामी शनि नवमेश शुक्र की राशि तुला मे बैठकर एकादश भाव स्वामी चन्द्र व एकादश भाव दोनों को देख रहे हैं | राहू केंद्र मे स्थित हैं जिसपर पंचमेश शनि की दृस्टी हैं और वो लग्नेश बुध को देख रहा हैं | एकादश भाव मे कर्क का चन्द्र हैं |

सूत्र संख्या - 1,3,4,5,7,8

4)7/9/1990 6:00 दिल्ली सिंह लग्न की इस पत्रिका मे नवमेश मंगल पंचम भाव मे स्थित शनि को व एकादश भाव स्वामी बुध को लग्न मे देख रहा हैं | लग्नेश सूर्य कर्मेश शुक्र व धनेश लाभेष बुध की युति लग्न मे ही हैं जिनपर नवमेश मंगल की दृस्टी हैं इसी मंगल की पंचम भाव पर भी दृस्टी हैं वही पंचमेश गुरु ऊंच राशि मे होकर राहू से प्रभावित हैं राहू की धन भाव पर भी दृस्टी हैं | इन्ही सब कारणो से जातक 12 वी फेल होने के बावजूद भी शेयर बाज़ार का बेहतरीन खिलाड़ी हैं जिसने डेढ़ वर्षो मे अपने मालिक को 20 करोड़ का लाभ शेयर बाज़ार से दिलाया हैं यह स्वयं 6 लाख प्रतिमाह कमाता हैं |

सूत्र संख्या – 1,5

5)28/8/1986 6:14 जयपुर सिंह लग्न मे जन्मे इस जातक की पत्रिका मे पंचमेश गुरु की लग्नेश सूर्य व धनेश लाभेष बुध पर दृस्टी हैं पंचम भाव मे मंगल नवमेश हैं जिसकी अष्टम भाव राहू व लाभ भाव पर दृस्टी हैं राहू की दृस्टी धन भाव पर भी हैं | इन्ही सब कारणो से जातक ने अपने पिता को शेयर बाज़ार द्वारा 5 लाख रुपये से 80 करोड़ कमा कर दिये |

सूत्र संख्या 1,5

6)5/7/1960 12:00 मुंबई कन्या लग्न (राकेश झुनझुनवाला) की इस पत्रिका मे पंचमेश शनि की नवमेश शुक्र पर दृस्टी हैं तथा एकादश भाव का स्वामी चन्द्र शुक्र की तुला राशि मे दूसरे भाव मे हैं |

सूत्र 1,5,8

7)19/4/1983 11:15 हैदराबाद मिथुन लग्न की इस पत्रिका मे लाभेष मंगल की पंचम व धन भाव पर दृस्टी हैं साथ ही सप्तमेश दशमेश गुरु की भी धन भाव पर दृस्टी हैं |

सूत्र संख्या - 1,7  

8)5/8/1993 8:00 दिल्ली सिंह लग्न के इस जातक ने शेयर बाज़ार से अपने पिता का 52 लाख का कर्ज़ मात्रा 40 दिनो मे चुका दिया आजकल यह एम॰बी॰ए भी कर रहा हैं | बुध धनेश व लाभेष होकर लाभ भाव मे कर्मेश शुक्र संग हैं |

सूत्र संख्या -1,5,

9)16/1/1913 15:10 मुंबई मेष लग्न के इस जातक ने नौकरी छोड़ 1942 मे अपना व्यापार आरंभ किया उसके बाद इन्होने शेयर बाज़ार मे धन लगाकर खूब धन कमाया इनकी गिनती अपने समय के धनमान्य लोगो मे होती थी | पत्रिका मे पंचमेश लग्नेश नवमेश का संबंध हैं तथा शनि लाभेष होकर धन भाव से लाभ भाव को देख रहा हैं अष्टम भाव पर राहू की भी दृस्टी हैं |

सूत्र संख्या 5

अन्य पत्रिकाएँ जो शेयर बाज़ार से संबन्धित हैं |

10)24/12/1945 5:30 बिल्लिमोरा तुला लग्न

11)15/6/1952 12:50 इटावा कन्या लग्न  

12)26/6/1959 20:30 दिल्ली

13)18/7/1983 20:15 नरनौल मकर लग्न

14)7/11/1981 9:21 दिल्ली वृश्चिक लग्न

15)16/1/1985 4:30 दिल्ली मिथुन लग्न 

गुरुवार, 18 अप्रैल 2024

राशि और महिलाए


मेष राशि की महिलाओं का व्यक्तित्व उनके व्यवहार में ही स्पष्ट झलकता रहता है चूँकि मेष, सिह एवं धनु राशि अग्नितत्व प्रधान हैं अतः इनका शारीरिक सौन्दर्य बहुत प्रभावशाली होता है । इनकी कद - काठी इन्हें आकर्षक एवं छरहरा बनाए रखती है । ये स्त्रीया अपनी व्यक्तित्व की धनी अपने कार्य के प्रति बड़ी वफादार होती हैं । इन्हें जो भी काम दिया जाता है वे मन लगाकर करती हैं । अपनी धुन की पक्की एवं मस्त मौला स्वभाव की होने के कारण यदि इन्हें कभी इनके मनपसन्द का काम न मिला तो काफी चिंतित हो जाती हैं । इनकी परेशानी इनके सौंदर्य एवं व्यक्तित्व को हल्का भी कर सकती है । इन्हे और अधिक तनाव से मुक्त रहने के लिए ध्यान करना चाहिए ।

इन्हें दुर्गामाता एवं गायत्री माता का मन्त्रजाप, पूजा पाठ करना चाहिए जिससे नका चहुँमुखी विकास हो एवं बाधाएँ, विपत्ती नष्ट होती रहे ।


वृषभ, कन्या एवं मकर राशि की महिलाएं बहुत नाक - नक्श वाली तो नहीं होती परन्तु फिर भी इनके चेहरे में एक आकर्षण सा दिखाई पड़ता है । इन राशि की महिलाओं से बात करने से या इन्हे देखने से या फिर इनके पास बैठने से बहुत अच्छा महसूस होता है तथा दिल को एक अजीब सी शांति मिलती है | इनका व्यक्तित्व अत्यधिक लुभावना होता है । इनकी बातचीत में शालीनता एवं आँखों में सौम्यता नज़र आती है । ऐसी महिलाएं कपट रहित होती हैं ।

इन्हे भगवान शिव की आराधना एवं मन्त्र जाप करना चाहिए ।


मिथुन,तुला एवं कुम्भ राशि वाली महिलाएं वायु तत्व की होने के कारण कुछ खर्चीले स्वभाव की होती हैं । इनके चेहरे की मुस्कुराहट इन्हे आकर्षक बनाती है । इनकी त्वचा मुलायम होती है इनके व्यक्तित्व से ज्यादा इनका चेहरा सुन्दर होता है । इन राशि की महिलाओं को अपनी त्वचा का विशेष खयाल रखना चाहिये, इनकी त्वचा नाजुक होने के कारण इनके चेहरे का विशेष रख-रखाव करना चाहिये ।

इन राशियो वाली महिलाओ को भगवान विष्णु की आराधना एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए |


कर्क, वृश्चिक एवं मीन राशि वाली महिलाए जल तत्व प्रधानकारी होने के कारण हर हाल में खुश रहती हैं | इनका चेहरा कांतिवान एवं बहुत प्यारा होता है । इनकी कद - काठी ज्यादा लम्बी-चौड़ी तो नहीं होती परन्तु फिर भी ये सबको प्रिय लगती हैं |इनका व्यक्तित्व कुछ मोटापायुक्त हो सकता है अतः इन्हे मोटापा से बचने के उपाय करने चाहिये । मोटापे के कारण इनको अन्य अनेक बीमारियाँ हो सकती हैं । साथ ही इनके शारीरिक बनावट में बेडौलपन उभरकर आ सकता है ।

इन राशि की महिलाओं को भगवान गणेश की पूजा-आराधना करनी चाहिये । चूँकि ये महिलाएं कल्पनाशील होती हैं अतः अपने गुण एवं कार्य में उन्नति प्राप्त करने के लिए श्री गणेश के बारह नामों का जाप करना चाहिये ।

मंगलवार, 16 अप्रैल 2024

शनि का गोचर फल


गोचर का शनि चन्द्र लग्न से केवल तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में शुभ फल करता है । शेष भावों में उसका फल अशुभ ही होता है ।

शनि चन्द्र लग्न में जब गोचरवश आता है तो बुद्धि काम नहीं करती । शरीर निस्तेज सा रहता है,मानसिक और शारीरिक पीड़ा होती है । भाइयों तथा स्त्री आदि से झगड़ा होता है,शस्त्र और पत्थर से भरहता है,दूर स्थानों की यात्रा होती है,मित्र और घर हाथ से निकल जाते हैं । सभी कार्यों में असफलता मिलती है,अपमान होता है और कभी राज्य से बन्धन का भय भी रहता है,आर्थिक स्थिति में बहुत कमजोरी आ जाती है ।

शनि चन्द्र लग्न से जब द्वितीय भाव में जब गोचरवश आता हैं तब गृह क्लेश होता है अथवा बिना किसी कारण झगड़ा खड़ा हो जाता है,स्वजनों से वैर चलता है । धन की हानि होती है और कार्य सफल नहीं होते,जातक शारीरिक दृष्टि से कमजोर रहता है और उसके लाभ तथा सुख में बहुत कमी आ जाती है । स्त्री को कष्ट रहने और उसकी मृत्यु तक की संभवना रहती है । जातक को घर छोड़कर बाहर जाना पड़ सकता है । विदेश यात्रा की भी संभावना रहती है ।

शनि चन्द्र लग्न से तृतीय भाव में जब गोचरवश आता है तो आरोग्य, पराक्रम और सुख में वृद्धि होती है । हर कार्य में सफलता मिलने के साथ - साथ, धान और नौकरी की प्राप्ति अथवा उन्नति होती है । जातक स्वयं डरपोक भी हो तो भी उसे शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और शत्रु उसे धीर वीर ही समझते हैं । जातक को पशु धन की भी प्राप्ति होती है तथा भूमि प्राप्ति के लिए भी यह उपयुक्त समय होता है ।

शनि चन्द्र लग्न से चतुर्थ भाव में जब गोचरवश आता है तब शत्रुओं की वृद्धि होती है । स्थान परिवर्तन अथवा तबादला होता है । संबंधियों से वियोग भी हो सकता है । धन की कमी,यात्रा में कष्ट होता है और जातक के सुखों में कमी आती है, यह समय बहुत अपमानजनक सिद्ध होता है । जनता तथा राज्य दोनों द्वारा विरोध होता है । जातक के मन में ठगी और कुटिलता का संचार होता है ।

शनि चन्द्र लग्न से पंचम भाव में गोचरवश जब आता है तो बुद्धि में भ्रम उत्पन्न हो जाता है । योजनाएं न बन पाती हैं न सफल होती है । जनता से ठगी करने की संभावना रहती है । धन और सुख में विशेष कमी आ जाती है | जातक अपना अधिकांश समय दुष्ट स्त्रियों के साथ व्यतीत करता है | पुत्र की बीमारी अथवा मृत्यु की संभावना रहती है । अपनी स्त्री से वैमनस्य बढ़ता है अथवा स्त्री को वायु रोगों की संभावना रहती है । संतान अथवा पुत्र से हानि होती है |

शनि चन्द्र लग्न से छठे भाव में गोचरवश जब आता तो धन, अन्न और सुख की वृद्धि होती है । शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है | भूमि मकान आदि की प्राप्ति का समय होता है । जातक का स्वास्थ्य उत्तम रहता है और उसे स्त्री भोगादि सुखों की प्राप्ति होती है ।

शनि चन्द्र लग्न से सातवें भाव में गोचरवश जब आता है तो घर छोड़ना पड़ता है, बार-बार यात्राएं होती हैं । स्त्री रोगी होती हैं अथवा उसकी मृत्यु होना भी संभव होता है । जातक गुप्त रोगों के कारण कष्ट पाता है । धन हानि होती है और मानसिक व्यथा बढ़ती है | यात्रा में कष्ट होता है और दुर्घटना की संभावना रहती है । मान - हानि होती है । नौकरी अथवा व्यापार छूट जाने तक की नौबत आ जाती है ।

शनि चन्द्र लग्न से आठवें भाव में गोचरवश जब आता है तो द्रव्य तथा धन की हानि होती है । कार्य सफल नहीं होते,अपमानित होने का भय रहता है । राज्य की ओर से भी भय रहता है । पुत्र से वियोग की संभावना रहती है । सत्री की मृत्यु तक की संभावना रहती है । जुए और दुष्ट व्यक्तियों की मित्रता के कारण कई प्रकार की परेशानियां आती हैं ।

शनि चन्द्र लग्न से नवें भाव में गोचरवश जब आता है तो दुःख, रोग और शत्रुओं की वृद्धि होती है । धर्म के कार्यों में मनुष्य पीछे हट जाता है अथवा धर्म परिवर्तन कर बैठता है । प्रादेशिक अथवा तीर्थ यात्राएं होती हैं, परन्तु लाभप्रद नहीं होती । भ्रातृ वर्ग से अनबन रहती है, मित्रों से कष्ट पाता है । लाभ में कमी आ जाती है । बंधन एवं आरोपों का भय रहता है ।

शनि चन्द्र लग्न से दशम भाव में गोचर वश जब आता है तो नौकरी अथवा व्यवसाय में परिवर्तन होते हैं और उनके संबंध में विघ्न-बाधाएं भी आती हैं,सफलता प्राप्त नहीं होती जातक पाप कर्म करता है और मानसिक व्यथा सहन करता है । उसे घर आदि से दूर रहना पड़ता है वह जनता का विरोध भी पाता है | स्त्री से वैमनस्य के कारण उससे पृथकत्व की संभावना रहती है । छाती के रोग होने की संभावना रहती है ।

शनि चन्द्र लग्न से एकादश भाव में गोचरवश जब आता है तो बहुत ज्यादा लाभदायक सिद्ध होता है । स्त्री वर्ग से, लोहे आदि से अथवा भूमि से, मशीनरी, पत्थर, सीमेंट, कोयला, चमड़ा आदि से लाभ देता हैं । रोग से मुक्ति मिलती है पदोन्नति होती है ।

शनि चन्द्र लग्न से द्वादश भाव में गोचरवश जब आता है तो अपने कुटुम्ब से दूर रहने पर विवश होना पड़ता है । संबंधियों तथा शुभ प्रतिष्ठित लोगों से मतभेद चलता है । धन का अनावशयक व्यय होता है । स्वास्थ्य भी खराब रहता है । दूर की यात्रा करनी पड़ती है जिसमें दुःख उठाना पड़ता है । इस समय धन नाश द्वारा भाग्य पतन का भय रहता है । सन्तान के लिए भी यह समय कष्टप्रद है । सन्तान की मृत्यु तक की संभावना रहती है ।

कण्टक शनि

जब गोचर का शनि चन्द्र लग्न से चौथे, सातवें और दसवें घर में भ्रमण करता है तो उसे कण्टक शनि कहा जाता है, यह साढ़े साती का दूसरा भेद है,कण्टक शनि में साधारणतया मानसिक दु:खों की वृद्धि होती है ।

(क) चन्द्र लग्न से चौथे स्थान में शनि होने पर स्वास्थ्य खराब होता है और निवास स्थान में परिवर्तन होता है ।

(ख) सप्तम स्थान में रहने पर दूर प्रवास होता है,यदि वहां चर राशि है तो यह फल निश्चित होगा ।

(ग) दशम स्थान में रहने से नौकरी,व्यवसाय में गड़बड़ी होती है तथा कार्य में असफलता पल्ले पड़ती है ।

सोमवार, 15 अप्रैल 2024

दैनिक जीवन मे क्या करें क्या न करे


तेल - मालिश

1. प्रतिपदा, षष्ठी, अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए

2. रविवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन तेल नहीं लगाना चाहिए

3. रविवार के दिन तैलाभ्यंग करने से क्लेश, सोमवार को कान्ति, मंगलवार को व्याधि, बुधवार को सौभाग्य, गुरुवार को निर्धनता, शुक्रवार को हानि और शनिवार को सर्वसमृद्धि की प्राप्ति होती है

4. रविवार को पुष्प, मंगलवार को मिट्टी, गुरुवार को दूर्वा और शुक्रवार को गोमय डालकर तेल लगाने से दोष नहीं

लगता

5. जो प्रतिदिन तेल लगाता हो, उसके लिए किसी भी दिन तेल लगाना दूषित नहीं है । जो तेल सुगंधित इत्र आदि से वासित हो, उसको लगाना भी किसी दिन दूषित नहीं है । सरसों का तेल ग्रहण काल को छोड़कर अन्य किसी दिन भी दूषित नहीं होता

6. सिर पर लगाने से हथेली पर बचे हुए तेल को शरीर के अन्य अंगों पर नहीं लगाना चाहिए



वस्त्र

1. एक वस्त्र धारण करके न तो भोजन करे, न यज्ञ करे, न दान करे, न अग्नि में आहुति दे, न स्वाध्याय करे, न पितृतर्पण करे और न देवार्चन ही करे

2. विद्वान् पुरुष धोबी के धोये हुए वस्त्र को अशुद्ध मानते हैं । अपने हाथ से पुनः धोने पर ही वह वस्त्र शुद्ध होता है

3. जिसकी किनारी या मगजी न लगी हो, ऐसा वस्त्र धारण करने योग्य नहीं होता

4. पहले से पहने हुए वस्त्र को बिना धोये पुनः नहीं पहनना चाहिये ।

5. वस्त्र के ऊपर जल छिड़कर ही उसे पहनना चाहिये ।

6. धन के रहते हुए पुराने और मैले वस्त्र नहीं पहनने चाहिये ।

7. मनुष्य को भीगे वस्त्र कभी नहीं पहनने चाहिये ।

8. अधिक लाल, रंगबिरंगे, नीले और काले रंग के वस्त्र धारण करना उत्तम नहीं है

9. कपड़ों और गहनों को उलटा करके न पहने । उनमें कभी उलट-फेर नहीं करना चाहिये अर्थात् उत्तरीय वस्त्र को अधोवस्त्र के स्थान में और अधोवस्त्र को उत्तरीय के स्थान में नहीं पहनना चाहिये । दूसरों के पहने हुए कपड़े नहीं पहनने चाहिये । जिसकी छोर फट गयी हो उस वस्त्र को नहीं धारण करना चाहिये । सोने के लिये दूसरा वस्त्र होना चाहिए । सड़कों पर घूमने के लिये दूसरा तथा देवताओं की पूजा के लिये दूसरा ही वस्त्र रखना चाहिये

10. नील में रंग हुआ वस्त्र दूर से ही त्याग देना चाहिये । जो नील का रंग हुआ वस्त्र पहनता है, उसके स्नान, दान, तप, होम, स्वाध्याय, पितृतर्पण ओर पंचमहायज्ञ  ये सभी व्यर्थ हो जाते हैं । नील के रंगे वस्त्र धारण करके जो रसोई बनायी जाती है, उस अन्न को जो रखता है, वह मानो विष्ठा खाता है | वह अन्न देने वाला यजमान नरक में जाता है

11. इन पांच कार्यों में उत्तरीय वस्त्र अवश्य धारण करना चाहिये - स्वाध्याय, मल-मूल का त्याग, दान, भोजन और आचमन |


भोजन

1. दोनों हाथ, दोनों पैर और मुख इन पांच अंगो को धोकर भोजन करना चाहिये । ऐसा करने वाला मनुष्य दीर्घ जीवी होता है ।

2. गीले पैरों वाला होकर भोजन करे गीले पैरों वाला ही भोजन करने वाला मनुष्य लम्बी आयु को प्राप्त करता है ।

3.सूखे पैर और अंधेरे में भोजन नहीं करना चाहिये ।

शास्त्र में मनुष्यों के लिये प्रात:काल और सायंकाल दो ही समय भोजन करने का विधान है,बीच में भोजन करने की विधि नहीं देखी गयी है । जो इस नियम का पालन करता है, उसे उपवास करने का फल प्राप्त होता है ।