कन्या राशि
टी, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
कन्या राशि के
जातकों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर उनकी जन्मराशि से सप्तम भाव में रहेगा, जो कि शुभाशुभ
फलप्रद माना जाता है । इस अवधि में पारिवारिक, स्वास्थ्य और
कार्यक्षेत्र से संबंधित कुछ समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे आपको
विशेष सावधानी बरतनी होगी ।
जन्मराशि से समम
भाव में गोचर कर रहे शनि की तीसरी दृष्टि भाग्य भाव पर रहेगी, जिसके फलस्वरूप
एक ओर जहाँ भाग्य के अपेक्षित सहयोग मिलने में कठिनाई होगी, तो वहीं दूसरी
ओर पिता को भी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । उनका स्वास्थ्य भी
प्रभावित हो सकता है ।
सप्तमस्थ शनि के
गोचर से स्वयं का स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा । पहले से चली आ रही बीमारियों
सम्बन्ध में सतर्क रहने की जरूरत है । स्वभाव में झुंझलाहट एवं क्रोध की अधिकता के कारण धैर्य एवं
मानसिक शान्ति में कमी का अनुभव हो सकता है । वाणी एवं व्यवहार पर संयम रखने की
आवश्यकता रहेगी अन्यथा रिश्तों में कड़वाहट सम्भव है ।
कन्या राशि वाले
जातकों के लिए शनि का चतुर्थ भाव पर दृष्टि प्रभाव रहेगा, जो पारिवारिक शान्ति
के लिए प्रतिकूल फलप्रद है,इस
अवधि में सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद देखने को मिल सकते हैं, तो वहीं
माता-पिता से सम्बन्धित कोई चिन्ता भी परेशान कर सकती है । हृदय एवं छाती से
सम्बन्धित रोगियों के लिए भी सतर्कता की अपेक्षा है |
स्वास्थ्य पर
प्रभाव : स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से शनि का मीन राशि में गोचर आपके लिए
मध्यमफलप्रद रहेगा । शनि की स्थिति से आपकी शारीरिक स्थिति में कुछ नरमी आ सकती है, जिसके कारण स्वभाव
में झुंझलाहट बढ़ सकती है,साथ
ही, पेट, लिवर और निचले
अंगों से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं । अगर आप पहले से उच्च रक्तचाप, डायबिटीज या
किसी अन्य बीमारी से जूझ रहे हैं, तो शनि के इस गोचर में आपके रोगों में वृद्धि
हो सकती है । इसलिए आपको अपनी दिनचर्या में नियमितता बनाए रखनी चाहिए ।
पारिवारिक सुख
और संबंध पारिवारिक सुख की दृष्टि से यह गोचर बहुत अधिक अनुकूल नहीं रहेगा । शनि
के मीन राशि में गोचर के दौरान आपको अपनी मान-प्रतिष्ठा को लेकर कुछ सावधानियाँ बरतनी
होंगी । इस समय अवांछित लांछन या आरोपों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे आपके
पारिवारिक जीवन में तनाव उत्पन्न हो सकता है । यदि आपने क्रोध पर काबू नहीं पाया, तो यह आपके लिए
समस्या का कारण बन सकता है । जीवनसाथी के साथ संबंधों में कटुता हो सकती है ।
आर्थिक स्थिति :
धन और संपत्ति के दृष्टिकोण से शनि का मीन राशि में गोचर आपको कुछ कठिनाइयाँ दे
सकता है इस समयावधि में आपके खचों में वृद्धि हो सकती है, जिससे आपकी बचत
प्रभावित हो सकती है । आय के स्रोतों में भी अनियमितता आ सकती है, जिससे आपको
आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । अत्यधिक अनुत्पादक खर्चों से आपकी आर्थिक
स्थिति पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है । इस गोचर अवधि में स्थायी संपत्ति में
वृद्धि के योग कम हैं । इस दौरान जोखिमपूर्ण निवेश से आपको बचना चाहिए |
नौकरी और कैरियर
कन्या राशि के नौकरीपेशा जातकों के लिए यह गोचर शुभाशुभ फल प्रदान कर सकता है ।
यदि आप प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं, तो उसमें कुछ विलंब हो सकता है । वेतन वृद्धि
और अन्य लाभ भी इस समयावधि में सामान्य रहेंगे । शनि के इस गोचर में नौकरी में
स्थानांतरण भी संभव हो सकता है । कार्यक्षेत्र में अन्दरूनी राजनीति और कुछ संघर्ष
उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे
आपका मन उदास रह सकता है । उच्चाधिकारियों से किसी विशेष लाभ की उम्मीद करना
बेमानी हो सकता है |
कैसा रहेगा
कन्या राशि वाले जातकों का व्यवसाय ?
कन्या राशि के
व्यवसायियों के लिए शनि का मीन राशि में गोचरावधि मिश्रित फलप्रद प्रतीत हो रहा है
। इस दौरान 'कुछ
अच्छे परिणाम मिल सकते हैं,
लेकिन कुछ कठिनाइयाँ भी सामने आ सकती हैं । इस अवधि में विशेष रूप से
कोई बड़ा बदलाव या मील का पत्थर स्थापित होने की संभावना कम है, लेकिन लाभ में
वृद्धि की दर और व्यावसायिक उन्नति की गति धोड़ी मंद हो सकती है । यद्यपि व्यवसाय
विस्तार की योजनाएँ बन सकती हैं, लेकिन उनके सही तरीके से क्रियान्वयन में
कठिनाइयाँ आ सकती हैं ।
इस गोचर के
दौरान व्यवसायियों को कुछ विशिष्ट परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है विशेष रूप
से साझेदारी में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं । शनि के प्रभाव से साझेदारों के
साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो सकते हैं । इसके अलावा, इस अवधि में
आपके प्रमुख सप्लायरों और ग्राहकों के साथ भी कुछ मतभेद हो सकते हैं, जिससे
व्यावसायिक कार्यों में रुकावट आ सकती है । शनि का प्रभाव सरकारी निर्णयों पर भी
हो सकता है, जो
आपके व्यापार या लाभ को प्रभावित कर सकते हैं । सरकारी नीतियों या आदेशों के कारण
नुकसान या देरी हो सकती है,
जिससे व्यावसायिक गतिविधियाँ बाधित हो सकती हैं ।
शनि के नवम भाव
पर दृष्टि डालने से आपके भाग्य में कुछ कमी हो सकती है । इस कारण, जो अवसर आएँगे, उनमें से
अधिकांश को आप सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाएँगे । यह अवधि व्यापारिक सफलता
में रुकावट का कारण बन सकती है। योजनाओ को अमल में लाने में बाधाएँ उत्पन्न हो
सकती हैं खासकर अगर आप किसी पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, तो यह समय आपके
और आपके पिता के बीच मतभेद या अलगाव का कारण बन सकता है |
सप्तम भाव में
शनि के गोचर के कारण आलस्य और कामों को टालने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है । आप
कार्यों को करने में सुस्ती महसूस कर सकते हैं, और नए प्रयासों
के लिए उत्साह में कमी आ सकती है । जो कार्य पहले से चल रहे हैं, उन्हें बनाए
रखने की प्रवृत्ति ही बनी रह सकती है, लेकिन नये प्रयासों के लिए प्रेरणा की कमी
रहेगी ।
चतुर्थ भाव पर
शनि की दृष्टि के कारण आप कृषि और संबंधित क्षेत्रों में निवेश करने या उनके प्रति
रुझान दिखा सकते हैं । इसके अलावा, यह समय आपके मूल निवास स्थान से जुड़े
व्यवसायों में भी संलग्न होने का हो सकता है । घर से संबंधित कारोबार में आपको नए
अवसर मिल सकते हैं । '
राहतकारी उपाय : सातमुखी रुद्राक्ष सोमवार या
किसी शुभ मुहूर्त में गले में धारण करें ।
प्रतिदिन ॐ शं
शनैश्चराय नमः' मन्त्र
का जप करना चाहिए।
भगवान् शिव की
पूजा और उपासना करें।
वृद्धों और
रोगियों की सेवा करें।
सदाचरण का पालन
करें |