सिंह राशि
मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
सिंह राशि वालों
के लिए शनि का मीन राशि में गोचर उनकी जन्मराशि से अष्टम भाव में रहेगा, जो कि 'अष्टम ढैया के नाम से जाना जाता है । यह समयावधि सिंह राशि
वालों के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती । इस अवधि में उन्हें मिल रही चुनौतियों का
धैर्य एवं शान्तिपूर्वक सामना करना चाहिए तथा स्वास्थ्य, पारिवारिक
रिश्तों एवं व्यवहार में सतर्कता रखने की आवश्यकता रहेगी |
अष्टम भाव में गोचर कर रहे शनि की तृतीय
दृष्टि दशम भाव पर रहेगी,
जिसके परिणामस्वरूप जातक को कर्मक्षेत्र से सम्बन्धित समस्याओं का
सामना करना पड़ सकता है । नौकरी में स्थानान्तरण एवं उच्चाधिकारियों से सम्बन्धों
में तनाव देखने को मिल सकता है, इस गोचरावधि में अपने कर्त्तव्यों एवं
दायित्वों का निर्वाह समय पर तय प्रक्रिया के अनुरूप करना चाहिए किसी प्रकार की
लापरवाही परेशानी उत्पन्न कर सकती है । नियमों एवं कानूनों का उल्लंघन करने से बचना चाहिए,दूसरों पर अधिक विश्वास ना करे |
अष्टम भाव में
गोचररत शनि की सप्तम दृष्टि
का प्रभाव द्वितीय
भाव पर रहेगा, जिसके
परिणामस्वरूप जातक को संचित धन खर्च करने की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं ।
कुटुम्बीजनों एवं परिजनों के साथ रिश्तों में तनाव का सामना करना पड़ सकता है ।
वाणी एवं व्यवहार पर ध्यान रखने की जरूरत है । माता-पिता एवं जीवनसाथी के स्वास्थ्य
का भी ध्यान रखना चाहिए |
अष्टम भाव में
गोचर कर रहे शनि की दशम दृष्टि
का प्रभाव पंचम भाव
पर भी रहेगा, जिसके
परिणामस्वरूप सन्तति सम्बन्धी कोई समस्या रह सकती है । विद्यार्थियों को अध्ययन
आदि में व्यवधान देखने को मिल सकते हैं। इसके अतिरिक्त अपयश एव अपमान की
परिस्थितियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं ।
स्वास्थ्य : शनि
का अष्टम भाव में गोचर विशेष रूप से स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता हैं | इस समयावधि में
आपको अपनी सेहत पर अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता होगी, क्योंकि शनि का
यह गोचर पुराने रोगों की तीव्रता को बढ़ा सकता है । यदि आप पहले से ही किसी
दीर्घकालिक बीमारी से ग्रस्त हैं, तो इस दौरान उनके सम्बन्ध में अतिरिक्त सतर्कता
बरतने की आवश्यकता रहेगी,इसके
अतिरिक्त, स्वस्थ
व्यक्तियों के लिए भी शनि का यह गोचर किसी न किसी बीमारी का कारण बन सकता है ।
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह समय सतर्क रहने का है । खानपान में संतुलन बनाए रखें
और अनहेल्दी आदतों से बचें । यदि आप किसी रोग से पीड़ित हैं, तो अपने
चिकित्सक से नियमित परामर्श लें । वाहन चलाते वक्त भी सतर्क रहें, क्योंकि इस
दौरान दुर्घटना या चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है ।
पारिवारिक सुख: पारिवारिक
जीवन में इस गोचर के कारण कुछ परेशानी उत्पन्न हो सकती है । घर में क्लेश और विवाद
हो सकते हैं तथा परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर चिन्ता बढ़ सकती है ।
आपको जीवनसाथी से बेहतर तालमेल बनाने की आवश्यकता होगी,विचारों में
भिन्नता और संवादहीनता के कारण मतभेद हो सकते हैं । इस समय अपनी वाणी और व्यवहार
पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि
उत्तेजना में आकर कहा गया शब्द आपको परेशानी में डाल सकता है । गृहक्लेश, परिवार में
असहमति और रिश्तों में तनाव बढ़ सकते हैं |
आर्थिक स्थिति :
आर्थिक दृष्टि से शनि का मीन राशि में गोचर सिंह राशि वालों के लिए कई मुश्किलें
ला सकता है । अष्टम भाव में शनि का स्थान होने से इस दौरान आर्थिक संकट और धन की
हानि की सम्भावनाएँ बढ़ सकती हैं । इस समयावधि में आपको जोखिमपूर्ण निवेश से बचना
चाहिए, क्योंकि
शनि के इस गोचर के दौरान कोई भी अप्रत्याशित स्थिति आपके लिए आर्थिक संकट पैदा कर
सकती है । चोरियाँ, दुर्घटनाएँ
या अन्य आपदाएँ आपके धन को प्रभावित कर सकती हैं । किसी को उधार देने से पहले एक
बार सोच लें, क्योंकि
धन की वापसी में मुश्किल हो सकती है । आकस्मिक खर्चों में वृद्धि हो सकती है और
आपकी आर्थिक स्थिति मे असंतुलन
पैदा हो सकता है । आय के स्रोतों में भी रुकावट आ सकती है । इस समय आय में कमी और
खचों में वृद्धि से घर की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है । आपको अपने खर्चों
पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है और व्यर्थ के खर्चों से बचने के लिए विशेष ध्यान
देना होगा ।
नौकरी और कॅरिअर:
कॅरिअर के दृष्टिकोण से यह समय बहुत अनुकूल नहीं है । नौकरीपेशा व्यक्तियों को
स्थानान्तरण या पद परिवर्तन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । जिन जातकों
का कॅरियर अस्थायी है या जो निजी क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उन्हें अपने
रोजगार को सुरक्षित रखने में कठिनाइयाँ आ सकती हैं । शनि का यह गोचर
उच्चाधिकारियों के साथ तनावपूर्ण स्थितियाँ उत्पन्न कर सकता है । शनि का गोचर आपको
अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से पालन करने का संदेश देता है । इस समय आपको
नियमों और कानूनों का उल्लंघन करने से बचना चाहिए |कार्यों को समय
पर और जिम्मेदारी से पूरा करने का प्रयास करें, क्योंकि यह आपको
किसी अनुशासनात्मक कार्यवाही से बचा सकता है । इस अवधि में अपने कार्यक्षेत्र में
सतर्क रहें और सभी कार्यों में ईमानदारी और निष्ठा बनाए रखें । चार्जशीट जैसी
स्थिति उत्पन्न हो सकती है,
इसलिए कार्यों में लापरवाही न बरतें |
कैसा रहेगा सिंह
राशि वाले जातकों का व्यवसाय?
सिंह राशि के
व्यवसायियों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर एक महत्त्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जो उनके
व्यापारिक जीवन पर गहरा असर डाल सकता है । यह गोचर उनकी जन्मराशि से अष्टम भाव में
स्थित होगा और अष्टम भाव में शनि का गोचर आमतौर पर शुभ फलदायक नहीं माना जाता । इस
स्थिति के परिणामस्वरूप व्यवसाय में मंदी की सम्भावना बन सकती है और व्यापार लाभ
की कमी या घाटा होने की सम्भावना भी रहती है । इस प्रकार के गोचर को अष्टम
ढय्यासंज्ञक माना जाता है,
जो व्यवसाय,
परिवार और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सतर्कता और सावधानी की आवश्यकता
को दर्शाता है ।
इस गोचर के
दौरान व्यापारी को आर्थिक नुकसान, आय में कमी, ऋण का बोझ बढ़ने
या करभार में वृद्धि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । इसके अलावा अगर
अन्य ग्रहों की दशाएं भी अशुभ हो, तो यह स्थिति व्यापार को बदलने या छोड़ने की
स्थिति में भी पहुंचा सकती है । व्यापार में नुकसान होने के साथ-साथ यह समय कुछ नई
संभावनाएँ भी लेकर आता है । शनि के इस गोचर के कारण विदेशों से व्यापार में जुड़ने
या विदेशी कंपनियों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित करने का अवसर भी बन सकता है ।
अष्टम भाव में
गोचर करने वाला शनि दशम भाव पर तृतीय दृष्टि डालता है, जिसके कारण
कर्मठता में कमी आ सकती है । इस दौरान आलस्य की अधिकता महसूस हो सकती है और
कार्यों को टालने की प्रवृत्ति विकसित हो सकती है । जो लोग अपने पिता के साथ
व्यवसाय में जुड़े हुए हैं या किसी पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े हैं, वे इस दौरान उस
व्यवसाय से अलग होने का विचार बना सकते हैं ।
इसके अतिरिक्त, आत्म भाव में
शनि का गोचर सिंह राशि की चन्द्रकुण्डली में पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि डालता है, जिससे
मुकदमेबाजी और सरकारी मामलों में उलझने की सम्भावना बढ़ जाती है । कुटुम्बियों और
प्रतिस्पर्धियों से शत्रुता बन सकती है तथा साझेदारी या स्थायी सप्लायरों और
ग्राहकों से भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है । इस स्थिति में व्यापारिक
सम्बन्धों में खटास आ सकती है और धन की स्थिति कमजोर हो सकती है ।
राहतकारी उपाय :
शनि के अष्टम भाव में गोचर से उत्पन्न होने वाली अशुभ स्थितियों को दूर करने के
लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं |
प्रतिदिन ॐ
प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः' मंत्र का जप करें ।
ॐ नमस्ते
कोणसंस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तु ते आदि शनि स्तोत्र का पाठ करें ।
सातमुखी
रुद्राक्ष की माला गले में धारण करें ।
मध्यमा अंगुली
में काले घोड़े की नाल का छल्ला पहनें ।
प्रतिदिन पीपल
के पेड़ पर जल चढ़ाएँ और तेल का दीपक जलाएँ ।