प्रत्येक 12 वर्षों में प्लूटो और गुरु संग आते हैं,गुरु और शनि 20 वर्ष में संग आते हैं |
प्लूटो एक राशि में 20 वर्ष रहता
है जो अब मकर राशि में है |
प्लूटो व शनि एक ही राशि में 735 वर्ष में
आते हैं इसमें शनि के 25 गोचर होते हैं तथा प्लूटो के तीन गोचर होते हैं |
वर्तमान में शनि 20 वर्षों के लिए प्लूटो का स्वामी बनेगा तथा शनि गुरु के लिए 2 साल के स्वामी बनेंगे |
जिस कारण मकर राशि और उसके स्वामी शनि को बहुत ज़्यादा प्रभाव मिलेंगे |
वराहमिहिर के अनुसार भारत की मकर राशि है,जिस कारण मकर राशि पर किसी भी प्रकार
का गोचरीय प्रभाव भारतवर्ष पर सीधा प्रभाव डालता है | प्लूटो का मकर राशि में गोचर भारतवर्ष की बदलाव का प्रतीक
बन रहा है तथा साथ में इन दो ग्रहों शनि प्लूटो का मकर राशि मे गुरु संग आना भी भारत हेतु कुछ ना कुछ बदलाव कराएगा |
भारतवर्ष की कुंडली 15/8/1947 00:00 दिल्ली के अनुसार देखे तो मकर राशि
भारत के नवे भाव में पडती है जो भारत वर्ष का भाग्य और भविष्य
बताती है |
शनि प्लूटो का पिछला संबंध 735 वर्ष पूर्व सन 1285 वर्ष में
बना था सन 1200 के बाद हमारे देश में मुगल फ्रांसीसी पुर्तगाली तथा अंत में अंग्रेज आए थे जिन्होंने
हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था को जड़ से खराब कर दिया था | इन सब बुरे समयो से भारतवर्ष निकल कर आया है |
प्लूटो ग्रह बदलाव का प्रतीक होता है तथा
शनि उसे मदद करता है जब यह दोनों ग्रह एक साथ आते हैं तो काफी बदलाव करते हैं | पिछली बार सन 1285 में विध्वंसक बदलाव के कारण भारतीयों
ने अपनी सारी शक्ति खो दी थी अब 2020 में यह माना जा रहा है कि सत्ता सही व्यक्तियों
के हाथ में आएगी,लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और उन्हें
अपनी शक्ति का पता चलेगा,शनि हमें मेहनत से सबक सीखाकर फल प्राप्त करवाते हैं |
अब जब इन तीनों ग्रहो का मकर राशि में मिलना
होगा तो कुछ अच्छे व्यापक बदलाव देखने
को मिलेंगे |
प्लूटो 26 फरवरी 2020 को शनि से मकर राशि में मिलेगा
यह दोनों प्रत्येक 34 से 38 वर्ष में मिलते हैं |
आइए देखते हैं की पिछली बार इन दोनों के मिलने पर क्या
हुआ था |
1947 अगस्त में कर्क राशि में यह दो मिले थे तब भारत अंग्रेज़ो से आजाद हुआ था |
1982 अक्तूबर में तुला राशि में दोनों ग्रह
मिले थे जब तुला राशि से गुरु भी गुजर रहा था जो भारत की कुंडली का छठा भाव है
तब हमने क्रिकेट विश्व कप जीता था तथा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
की हत्या होने के बाद हजारों सिख मारे गए थे |
प्लूटो,शनि व गुरु से बाहर का ग्रह है सूर्य से
सबसे दूर का ग्रह है धीमी गति से घूमने वाला ग्रह है प्लूटो को मंगल समान माना गया है तथा
इसे वृश्चिक राशि का स्वामी बताया गया है |
आइए देखते हैं कि शनि से प्लूटो का संबंध धनु राशि में
कब कब बना |
5 नवंबर 2019 से 24 जनवरी 2020 शनि गुरु प्लूटो धनु
राशि में थे |
30 मार्च 2020 से 29 जून 2020 जहां माह मध्य मे यह वक्री होंगे |
20 नवंबर 2020 से 5 अप्रैल 2021 तथा अंत में 15 सितंबर
2021 से 21 नवंबर 2021 अर्थात पूरे 2020 में यह दोनों
एक ही राशि पर रहेंगे जोकि धीमी आंदोलनकारी गतिविधि बता रहे हैं |
इन तीनों ग्रहों का संबंध दुनिया में बहुत सारी वस्तुओं
को बदल कर रख देगा क्योंकि प्लूटो शनि से भी धीमे चलते हैं तथा ब्रह्मांड का 248 वर्ष में चक्कर
लगाते हैं अर्थात 1 साल में केवल 2 अंश चलते हैं तथा 165 दिन
प्रतिवर्ष वक्री रहते हैं जिस कारण इनका प्रभाव भी धीमा रहता हैं | यह मकर में 2020 से 2039 तक रहेंगे इस दौरान हम आने
वाले सालों में बहुत कुछ बदलता हुआ देखेंगे |
शनि सीमाये,हदे तथा डर बताता है,प्लूटो अंत तक जाना,तेजी से
बदलना और बदलाव बताता है जबकि गुरु कुछ बड़ा व विस्तारता होने का प्रतीक है |
जब यह तीनों मिलेंगे तो अवश्य ही कोई ना कोई बहुत बड़ा बदलाव होगा बहुत से पुराने नियम बंधन कायदे और कानून टूटेंगे तथा नये बनेंगे,धरती पर बहुत बड़े आंदोलन होंगे तथा जनता उसमें शामिल
होगी क्योंकि शनि न्याय अथवा आम जनता का प्रतीक है इसमें समय तो लगेगा लेकिन याद रखें
2020 दुनिया के लिए बहुत कुछ बदलने की क्षमता रखता हुआ वर्ष नजर आ रहा है |
प्लूटो लड़ाई एवं द्वंद बताता है जिसमे महा शक्तियों सी ताकत,आतंक हत्याएं ताकत होती हैं जिसे शक्ति द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता हैं जिस कारण शक्ति का प्रदर्शन बड़े पैमाने पर होगा | शनि और प्लूटो दोनों ही पाप ग्रह की श्रेणी
में है जो कुछ ताकतवर परिणाम देने मे सक्षम हैं परंतु यहां पर गुरु की उर्जा भी शामिल होगी जो इन के
नकारात्मक प्रभाव को काफी हद तक रोकेगी परंतु फिर
भी शनि प्लूटो और गुरु युति के एक ही भाव में होने से धरती पर बहुत
सारी चीजें ऐसी होंगी जो कभी हुई नहीं है |