विज्ञान का कार्य घटनाओ की पुनर्निर्माण
करना होता हैं विज्ञान तर्क का विषय हैं ज्ञान का नहीं,कोई भी घटना क्यू व
कैसे होती हैं उसके पीछे क्या तर्क होते हैं विज्ञान इसका पता करना नहीं
जानता,विज्ञान मानता हैं की पानी को गरम करने पर भाप
बनती हैं परंतु इसी पानी से हजारो बार मे एक बार अमृत भी बनता हैं यह नहीं मानता |
आकाश मे भ्रमण करते हुये ग्रह धरती पर हम मानवो पर अपना
प्रभाव दर्शाते हैं यह अब विज्ञान भी मानने लगा हैं विशेषकर चन्द्र के कुछ चरण
मानव मस्तिष्क पर अपना असर करते हैं प्रत्येक व्यक्ति मे एक भ्रम रहता हैं की मैं
सही हूँ और दूसरा ग़लत ऐसी धारनाए धरती पर लगभग सभी मनुष्यो व समाजो मे पायी जाती हैं |
विज्ञान यह भी मानता हैं की साधारणत मनुष्य का
दिमाग कभी भी नापा नहीं जा सकता हम यह माने या ना माने परंतु भौतिक दृस्टी से 3 ग्रह चन्द्र,बुध व गुरु प्रत्येक व्यक्ति के
मस्तिष्क पर अपना अपना प्रभाव डालते ही हैं | जहां चन्द्र हमें
मनो विज्ञान प्रदान करता हैं वही बुध हमें बुद्दि तथा गुरु विवेक व विस्तार प्रदान
करते हैं |
इन तीनों ग्रहो की चारित्रिक विशेषताओ
का उल्लेख हमारे प्राचीन ज्योतिषियो ने अपने अपने ज्ञान,गूढ जानकारी व दूर दृस्टी की मदद से हजारो
वर्ष पूर्व किया हैं |
चन्द्र बुध का मित्र माना जाता हैं
परंतु बुध चन्द्र को मित्र नहीं शत्रु मानता हैं चन्द्र द्वारा उत्पन्न विचार नदी
की तरह बहते हैं जिसमे आप भेद नहीं कर सकते की ये नदी हैं की विचार हैं जिस प्रकार
नदी को रोका नहीं जा सकता उसी प्रकार विचारो को भी रोका नहीं जा सकता हैं | किसी की भी बुद्दिमता का पता बुध के
द्वारा दिया जा सकता हैं परंतु इसके लिए बुध का स्थिर होना ज़रूरी हैं जो चन्द्र की
विपरीत अवस्था हैं क्यूंकी चन्द्र कभी स्थिर नहीं रहता इस कारण बुध को युद्ध कर
चन्द्र को जीतना होता हैं परंतु ऐसा करने की कुछ सीमाएं हैं और ऐसा कुछ ही अवस्थाओ
मे हो सकता हैं जिसके लिए व्यक्ति को विवेक पूर्ण होना होता हैं जिससे हम पाते हैं
की बुध गुरु हेतु समता रखता हैं जबकि गुरु बुध के लिए शत्रु होता हैं |
इस कारण इन तीनों ग्रहो की बुरी,कमजोर
अथवा पीड़ित अवस्था ज्योतिष परिपेक्ष मे
मनोवैज्ञानिक विषमता देती हैं जब चन्द्र पीड़ित व दूषित होतो मनोविकार उत्पन्न होते हैं बुध पीड़ित व दूषित होने पर
स्नायु विकार तथा गुरु पीड़ित व दूषित होने पर मूर्ख,बेवकूफ,अच्छे बुरे की पहचान ना करने वाला होता हैं |
चन्द्र मन पर नियंत्रण रखता हैं और इसे
माता व रक्त संचालन का कारक कहा जाता हैं चन्द्र गोलाकार शरीर व गोल चेहरा प्रदान
करता हैं मधुर वाणी,सफ़ेद रंग,मोती,अच्छे रसायन,दवाए,सौन्दर्य प्रसाधन,चावल,गन्ना आदि वस्तुए इस चन्द्र के अधीन आती हैं इसके अतिरिक्त
उत्तर पश्चिम दिशा तथा शरीर मे पेट,रक्त संचालन,गर्भाशय,ब्लेडर,स्तन,जननांग इससे संबन्धित हैं दुषित होने पर यह चन्द्र
शरीर मे बहुत सी बीमारिया जैसे हिस्टीरिया,पेरानोया,अवसाद,तनाव,उत्सुकता व सीजोफ़्रेनिया आदि देता हैं |
चन्द्र सभी ग्रहो के
मुक़ाबले सबसे तेज घूमने वाला ग्रह हैं तथा यह धरती पर रहने वाले प्राणियों के
दिमाग पर बहुत असर डालता हैं मानसिक स्थिरता के लिए इस चन्द्र
ग्रह के आस पास 5 ग्रहो मे से एक या अधिक ग्रह होने ज़रूरी हैं जिसे चन्द्र के लिए
शुभकर्तरी या पापकर्तरी कहा जाता हैं यदि चन्द्र शुभकर्तरी मे होतो दिमाग स्थिर व
सेहतमंद होता हैं जबकि पाप कर्तरी मे होने पर यह चन्द्र जातक का दिमाग लड़ाकू
व जल्दबाज़ बनाता हैं जो अपने दिमाग को
सटीक व उचित परिणाम पाने के लिए क्रूर कर्म करने को बाध्य करता रहता हैं | चन्द्र के आसपास ग्रह ना
होने पर केंमद्रुम योग बनता हैं जो अशुभ माना जाता हैं साथ ही यदि
शकट योग भी होतो जातक को अपने जीवन मे बहुत ही अशुभता प्राप्त होती हैं |
चन्द्र का गुरु से 6/8 होना या गुरु से
चन्द्र का 2/12 होना शकट योग बनाता हैं ऐसा होने पर जातक जल्दबाजी मे निर्णय लेने
वाला होता
हैं जिससे उसे हमेशा हानी होती रहती हैं |
बुध,शुक्र व शनि चन्द्र हेतु अशुभ होते हैं अत: इनके घरो मे चन्द्र
का होना इनकी चन्द्र पर दृस्टी होना,इनके साथ चन्द्र का होना प्राकृतिक रूप से अशुभ ही होता
हैं |
यह एक अजीब तथ्य की
चन्द्र शुक्र की राशि वृष मे ऊंच का होता हैं हालांकि उसका ऊंच्चाश कृतिका नक्षत्र के
दूसरे चरण मे होता हैं और उसे रोहिणी नक्षत्र के दूसरे व चौथे चरण मे शुभ माना
जाता हैं जो उसका स्वयं का नक्षत्र होता हैं जिससे यह चन्द्र वर्गोत्तम व अपने ही
नवांश मे भी होता हैं ऐसे चन्द्र वाला जातक जीवन मे हर सुख पाने के साथ साथ ऊंच
सोच व खुले विचारो का होता हैं |
एक और अजीब तथ्य यह भी
हैं की मंगल जो की चन्द्र का मित्र होता हैं उसकी वृश्चिक राशि मे अपने ही मित्र गुरु के नक्षत्र
विशाखा के चौथे चरण मे नीच का भी होता हैं |