विक्रम संवत
2072(21/3/2015 -7/4/2016)
शुक्रवार दिनांक 20/3/2015
15:06 मिनट पर हिन्दू नववर्ष आरंभ होगा जो विक्रम संवत 2072 कहलाएगा जिसमे कर्क
लग्न,मीन राशि व अश्लेषा नक्षत्र उदय होगा चूंकि तिथि
अगले दिन प्रात: शनिवार को बदलेगी इस वर्ष
का राजा शनि बनेगा जिसके विषय मे विद्वान वराहमिहिर अपने ग्रंथ बृहद जातक मे लिखते
हैं |
“जिस
वर्ष शनि राजा बनता हैं उस वर्ष धरती के देशो को बहुत से युद्धो का सामना करना
पड़ता हैं जिससे लुटेरो द्वारा आम जनता भयाक्रांत होती हैं भूख,बीमारी व अपनों के नष्ट होने से प्रजा त्राहि त्राहि करती हैं | आकाश मे बादल हवा से उडा दिये जाते हैं पेड़ गिरकर टूट जाते हैं धरती पर
प्रकाश नहीं आ पाता जिससे कोहरा सा छाया रहता हैं नदिया व तालाब इत्यादि सुख जाते
हैं अर्थात वर्षा बहुत कम होती हैं” |
शनि
मंगल की राशि मे हैं और मंगल इस वर्ष के मंत्री हैं इस वृश्चिक राशि से शनि मकर,वृष व सिंह राशि को दृस्टी दे रहे हैं अर्थात इस नाम राशियो से जुड़े देशो
जैसे जर्मनी,जापान,ईरान,इराक,नाइजीरिया आदि मे युद्ध व महामारी जैसे हालत
बनेंगे वैसे इस शनि पर गुरु की दृस्टी उसे कुछ हद तक मर्यादित भी करेगी |
आइए
कुंडली द्वारा इस विक्रम संवत 2072 मे भारत मे क्या होगा यह जानने का प्रयास करते
हैं |
लग्न मे ऊंच के गुरु वक्री
अवस्था मे षष्ठेश नवमेश होकर स्थित हैं जिससे शिक्षा,कला,खेल,मनोरंजन,शेयर बाज़ार,अंतर्राष्ट्रीय व विदेशी मामलो,समझौतो,धार्मिक स्थानो इत्यादि के क्षेत्र मे देश
खूब तरक्की करेगा इनसे संबन्धित कई कानून,नीतिया व बदलाव
सरकार अवश्य करेगी जनता मे गुरुता अर्थात
ज्ञान व जगकल्याण की भावना का होना देश मे सुख समृद्दि व तरक्की कराएगा | लग्नेश चन्द्र व गुरु मे परिवर्तन योग बना हैं जिससे देश धर्म की और
ज़्यादा बढ़ेगा व धर्म से संबन्धित कई कार्य होंगे,गुरु की
दशमेश मंगल पर दृस्टी सरकार को अपना काम बेहतरीन तरीके से करने मे मजबूर करेगी गुरु
शिक्षा व धार्मिक वर्ग का प्रतिनिधित्व करता हैं जो देश मे प्राचीन तरीक़े से
शिक्षा का रुझान अर्थात गुरुकुल प्रणाली व गुरु शिष्य परंपरा बढ़ा सकता हैं|
द्वितीय भाव जो धन,अर्थ व्यवस्था,खज़ाना व मुद्रास्फीति बताता हैं
जिसपर तृतीयेश व द्वादशेश बुध की दृस्टी
स्पष्ट रूप से विदेश से देश को धन लाभ दर्शा रही हैं वही द्वितीयेश सूर्य की नवम
भाव मे स्थिति सपष्ट रूप से देश की आर्थिक स्थिती मे बढ़ोत्तरी ही बता रही हैं |
तृतीय भाव मे राहू होना,तृतीय भाव मे बहुत से ग्रहो का प्रभाव होना तथा तृतीयेश का अष्टम भाव मे
होना भारत को पड़ोसी देशो से चौकन्ना रहने की और इशारा कर रहा हैं पड़ोसी देश भारतीय
सीमा पर अवश्य ही घुसपैठ करने का प्रयास करेंगे चूंकि तीसरा भाव संचार माध्यम,यात्रा के साधन व प्रकार भी बताता हैं दूर दराज़ के सीमावर्ती राज्यो,इलाको तथा प्रदेशों मे सरकार सुख सुविधाओ व विकास हेतु प्रचार प्रसार
करेगी (अरुणाचल प्रदेश मे 6 हवाई अड्डे बनाने का प्रस्ताव सरकार दे ही चुकी हैं )
परंतु राहू मंगल का संबंध रेल,हवाई,अग्नि
व जल संबंधी दुर्घटनाओ का ज़्यादा होना भी बता रहा हैं |
चतुर्थ भाव का पापकर्तरी
मे होना तथा चतुर्थेश-एकादशेश शुक्र व पंचमेश–दशमेश मंगल का उस पर दृस्टी प्रभाव
कृषि योग्य ज़मीन,खनिज पदार्थ,भूमि
संबन्धित लाभ,जनता का सामान्य सुख आदि पर मिलाजुला प्रभाव
बता रहे हैं कुछ फसले अच्छी तो कुछ बुरी रहेंगी,होटल उद्योगो
मे व्यभिचार संबंधी घोटाले पकड़े जाएंगे,भूमि उद्योग थोड़ा
संभलेगा साथ ही वाहन क्षेत्र बहुत तरक्की करेगा |
पंचम भाव मे शनि(वक्री) का
होना तथा पंचमेश मंगल का नवम भाव मे पीड़ित होना जन्मदर मे गिरावट दर्शा रहा हैं
गर्भपात अथवा गर्भ से संबन्धित घटनाए बढ़ेंगी जिनसे कई नामी अस्पताल व स्वस्थ्य
केंद्र शक के घेरे मे आएंगे परंतु इसी संतान व जन्म क्षेत्र मे कई नए शोध भी प्रगत
होंगे कुछ नई दवाए भी जन्म ले सकती हैं |
छठे भाव पर कोई प्रभाव ना
होना व षष्ठेश गुरु का लग्न मे वक्री होकर द्वितीयेश सूर्य व सप्तमेश शनि पर
दृस्टी डालना वित्तीय व शैक्षिणीक संस्थानो पर गुप्त व छद्म रूप से आक्रमण अथवा दबाव
बनाना दर्शा रहा हैं |
सप्तम भाव पर शनि सप्तमेश
व गुरु की दृस्टी जो नवम भाव पर भी हैं के होने से विदेश संबंधी मामलो मे देश को पड़ोसी
विदेशी देश जैसे पाकिस्तान,बांग्लादेश,श्रीलंका व चीन आदि से किसी ना किसी मुद्दे व समझौते मे धोखा भी हो सकता
हैं तथा कुछ मामलो मे देश को विदेशो से
लाभ भी प्राप्त हो सकता हैं |
अष्टम भाव मे बुध द्वादशेश
का होना विपरीत राजयोग बना रहा हैं वही अष्टमेश शनि पर व लग्नेश चन्द्र पर गुरु
प्रभाव सरकार की आयु पर कोई खतरा नहीं दर्शा रहे हैं सरकार विदेश मे जमा काला धन,जासूसी संबंधी घोटाले,गुप्त समझौते,विदेश मे संपत्ति इत्यादि का खत्म करने पर मजबूर होगी कई बड़े घोटाले इस
समय दम तोड़ेंगे |
नवम भाव मे ज़्यादा गृह
प्रभाव होने से तथा इसके शुभकर्तरी मे होने से सरकार कोई धर्म संबंधी नया कार्य व
नीति पारित कर सकती हैं संभवत: सरकार राम मंदिर का अजेंडा फिर से शुरू कर दे सरकार
का भाव (दशम) का स्वामी अपने से बरहवे हैं तथा दशम मे चतुर्थ(जनता) भाव का स्वामी
शुक्र बैठा हैं जो स्पष्ट रूप से दर्शा रहा की सरकार जनता का ध्यान भटकाने के लिए
ऐसा कर सकती हैं | नवम भाव मे मंगल राहू का संबंध देश
मे धर्म संबंधी तनाव पैदा कर सकते हैं धार्मिक उन्मान्द व सांप्रदायिक दंगा फैला
सकते हैं जिससे धार्मिक जगहो,न्यायिक परिसरो इत्यादि मे
अराजकता का माहौल जन्म ले सकता हैं |
दशम भाव पर शुक्र का होना
स्पष्ट रूप से देश व सरकार मे स्त्रियो का वर्चस्व बढ्ना बता रहा हैं (26 जनवरी मे
हम ऐसा देख ही चुके हैं ) स्त्रियाँ सरकार व देश मे महत्वपूर्ण पद संभालेंगी,सरकार महिलाओ हेतु कोई नया कानून व आरक्षण की घोषणा कर सकती हैं पुरुषो के
मुक़ाबले महिलाए इस वर्ष ज़्यादा पद व सम्मान पाएँगी ऐसा प्रतीत होता दिखता हैं |
एकादश भाव का स्वामी अपने
से द्वादश होने से तथा दशमेश स्वयं से द्वादश होने से सरकार अपना लाभ अपने कार्यो
पर तथा सरकार के कर्म उनके भाग्य पर असर डालेंगी अर्थात सरकार पूरी ईमानदारी से
अपना कार्य करेगी जिससे उनको भविष्य मे भी जनता का प्यार मिलता रहेगा नए नए कार्यो
के लिए नए आर्थिक क्षेत्र खोले जाएंगे जो देश मे रोजगार को बढाएंगे |
द्वादश भाव मे मंगल(इस
वर्ष का मंत्री ) का दृस्टी प्रभाव होना तथा द्वादशेश बुध का अष्टम मे होना हवाई
दुर्घटनाओ मे हानी होना दर्शा रहा है जो विशेषकर ग्रहणों के आसपास ज़्यादा हो सकती
हैं जिनसे काफी जनहानी होने की संभावना नज़र आती हैं |
इस संवत मे पड़ने वाले
ग्रहणों पर नज़र डालने पर निम्न तथ्य प्राप्त होते हैं |
इस नववर्ष मे 6 ग्रहण
पड़ेंगे जो 20/3/2015,4/4/2015,13/9/2015,28/9/2015,9/3/2016 तथा 23/3/2016 को पड़ेंगे | पहले ग्रहण के दिन ही
नववर्ष आरंभ हो रहा हैं चूंकि यह सूर्य ग्रहण मीन राशि मे पड रहा हैं जिसके विषय
मे शास्त्र बताते हैं की इस ग्रहण से समुद्र किनारे रहने वाले,समुद्र से संबन्धित कार्य करने वाले लोगो को अशुभता प्राप्त होती हैं
अर्थात भारत के तटीय राज्यो मे इस ग्रहण से हानी हो सकती हैं | इस मीन राशि मे सूर्य चन्द्र मंगल केतू जैसे ग्रहो के होने से
शास्त्र राजा व राज्य का विनाश बताते हैं संभवत:
किसी देश के राजा अथवा शीर्ष नेता की मृत्यु भी हो सकती हैं | दूसरा ग्रहण चन्द्र ग्रहण होगा जो कन्या राशि मे 4/4/2015 को पड़ेगा जिसके
विषय मे शास्त्र नर्तको,धनुर्धरो,कृषि
कार्य करने वालों के लिए इसे अशुभ बताते हैं संभवत: देश के किसी बड़े कलाकार की
मृत्यु इस दौरान होगी |
अन्य ग्रहणों का प्रभाव
भारत मे कुछ खास नहीं पड़ेगा |
ग्रह गोचर –गुरु ग्रह का
जुलाई माह मे सिंह राशि मे प्रवेश देश मे जल,वर्षा व
दुग्ध हेतु शुभता बता रहा हैं संभवत: अगस्त माह मे वर्षा अच्छी होगी जिससे कुछ एक
राज्यो मे बाढ जैसे हालात भी बन सकते हैं जिनमे दिल्ली,मध्य
प्रदेश,गुजरात व उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं | सितंबर से नवंबर के मध्य भारत के किसी बड़े कलाकार को कोइ एक विश्वस्तरीय
सम्मान भी मिल सकता हैं | शनि इस पूर्ण वर्ष वृश्चिक राशि मे
ही रहेंगे परंतु 2 नक्षत्रो मे भ्रमण करेंगे शास्त्र बताते हैं की जब शनि वृश्चिक
मे भ्रमण करते हुये एक वर्ष गुजार लेते हैं तो इंद्रप्रस्थ मे भारी तबाही होती हैं
चूंकि शनि अपने अनुराधा नक्षत्र मे काफी समय तक वक्री रहेंगे व मई माह मे इनका
मंगल से अंशानुसार विपरीत संबंध बनेगा अवश्य ही कोई विनाशकारी घटना जैसे भूकंप
राजधानी दिल्ली के आस पास घट सकती हैं साथ ही भारतीय राजनीति मे भी कोई तनाव आ
सकता हैं | शनि दिसंबर माह मे ज्येष्ठा नक्षत्र मे प्रवेश
करेंगे परंतु सितंबर माह मे पड़ने वाले 2 ग्रहणों के कारण उनका प्रभाव पहले ही
मिलने लगेगा जिससे अक्तूबर व नवंबर माह मे विश्वपटल मे भारी उठापटक होने का अंदेशा
लगता हैं कोई बड़ा भूकंप चीन,भारत,अमरीका,जापान व नेपाल मे तबाही मचा सकता हैं कई देशो मे प्राकृतिक दुर्घटनाए हो
सकती हैं जिनसे काफी जान माल की हानी होगी ऐसा प्रतीत होता हैं |
इस नववर्ष के दौरान भारत
वर्ष पर सूर्य मे शुक्र मे गुरु तथा शनि का प्रत्यंतर चलेगा जिससे भारत की पत्रिका
का तीसरा भाव प्रभावित होगा और भारत को ना चाहते हुये भी अपने पड़ोसी मुल्को से
परेशानी झेलनी पड़ेगी देश की सीमा पर घुसपैठ व टकराव जैसे हालात जन्म लेंगे जिससे
देश को एक छद्म युद्ध का सामना भी करना पड सकता हैं |
सितंबर माह से देश मे
चन्द्र की महादशा लगेगी जो भारत का राशीनाथ हैं साथ ही साथ इस हिन्दू वर्ष का
लग्नेश भी हैं जिससे भारत विश्वपटल मे अपना प्रभाव बढ़ाने की और कदम रखने लगेगा |
डॉ॰ किशोर घिल्डियाल