1) मंगल पांचवे घर मे-चैन से ना सोये तथा अपनों से
धोखा खाये |
2) गुरु केतू की युति-मुंह पर आलोचना करे |
3) मंगल का संबंध लग्न या लग्नेश से-पुरुषार्थी बनाए |
4) शनि का लग्न या लग्नेश से संबंध –स्वयं क्रोध मे
अहंकार से सब कुछ गवाए |
5) गुरु का लग्न या लग्नेश से संबंध- स्वयं ज्ञान की
पराकाष्ठा होवे|
6) गुरु अस्त/वक्री –पाचन तंत्र कमजोर एवं मोटापा |
7) सम राशि का लग्न,गुरु
बलवान-पत्नी शास्त्र मे निपुण वेदो का अर्थ जानने वाली |
8) छठे भाव मे गुरु- कर्जा चढ़े |
9) विवाह लग्न मे गुरु- धनवान,3रे
सन्तानवान ,5वे-कई पुत्र,10वे-धार्मिक,7,8 मे अशुभ |
10) मंगल पर गुरु की दृस्टी –समझौता वादी प्रवर्ति |
11) मंगल संग राहू-कुछ भी कर ले,मारक गुण |
12) मंगल संग बुध- छल छद्म एवं शरीर मे तेजाब बने |
13) दशमेश का अस्ट्मेश या द्वादशेश से संबंध- जन्म
स्थान से दूर सफलता |
14) मंगल का दूसरे घर व द्वितीयेश पर प्रभाव –पत्नी की
मृत्यु बाद दूसरा विवाह |
15) सप्तम भाव से नवां भाव मे केतू-पति धार्मिक,शारीरिक सुख कम |
16) बुध लग्नेश हो तो- प्रबंधन कार्य,लेखाकार्य एवं बुध कार्य करे |
17) सप्तम भाव मे वक्री ग्रह –दाम्पत्य जीवन मे अडचने
18) बुध पूर्णस्त –स्मरण शक्ति मे कमी |
19) शुक्र संग चन्द्र-भावुकता ज़्यादा |
20) केंद्र स्थान खाली- गौड़ फादर नहीं |
21) चन्द्र 12वे घर मे –नींद कम रात को जागे |
22) सूर्य/बुध दूसरे भाव मे –पत्नी सुख मे कमी |
23) चन्द्र पर शनि दृस्टी-मानसिक अस्थिरता |डबल माईंड |
24) सप्तमेश नीच राशि का –विवाह मे धोखा |
25) लग्नेश छठे घर मे –सभी के प्रति आशंका एवं डर की
भावना |
26) अस्ट्मेश नवमेश की युति-प्रेत बाधा
27) छठे व दूसरे घर के स्वामी का परिवर्तन-प्रतियोगिता
द्वारा धननाश |
28) सूर्य चन्द्र जिस भाव मे संग- उस भाव का नाश|
29) सूर्य संग शनि लग्न मे –विवाह देर से |