रविवार, 25 नवंबर 2012

चमत्कारी फलादेश - 2



1)  मंगल पांचवे घर मे-चैन से ना सोये तथा अपनों से धोखा खाये |
2)  गुरु केतू की युति-मुंह पर आलोचना करे |
3)  मंगल का संबंध लग्न या लग्नेश से-पुरुषार्थी बनाए |
4)  शनि का लग्न या लग्नेश से संबंध –स्वयं क्रोध मे अहंकार से सब कुछ गवाए |
5)  गुरु का लग्न या लग्नेश से संबंध- स्वयं ज्ञान की पराकाष्ठा होवे|
6)  गुरु अस्त/वक्री –पाचन तंत्र कमजोर एवं मोटापा |
7)  सम राशि का लग्न,गुरु बलवान-पत्नी शास्त्र मे निपुण वेदो का अर्थ जानने वाली |
8)  छठे भाव मे गुरु- कर्जा चढ़े |
9)  विवाह लग्न मे गुरु- धनवान,3रे सन्तानवान ,5वे-कई पुत्र,10वे-धार्मिक,7,8 मे अशुभ |
10) मंगल पर गुरु की दृस्टी –समझौता वादी प्रवर्ति |
11) मंगल संग राहू-कुछ भी कर ले,मारक गुण |
12) मंगल संग बुध- छल छद्म एवं शरीर मे तेजाब बने |
13) दशमेश का अस्ट्मेश या द्वादशेश से संबंध- जन्म स्थान से दूर सफलता |
14) मंगल का दूसरे घर व द्वितीयेश पर प्रभाव –पत्नी की मृत्यु बाद दूसरा विवाह |
15) सप्तम भाव से नवां भाव मे केतू-पति धार्मिक,शारीरिक सुख कम |
16) बुध लग्नेश हो तो- प्रबंधन कार्य,लेखाकार्य एवं बुध कार्य करे |
17) सप्तम भाव मे वक्री ग्रह –दाम्पत्य जीवन मे अडचने
18) बुध पूर्णस्त –स्मरण शक्ति मे कमी |
19) शुक्र संग चन्द्र-भावुकता ज़्यादा |
20) केंद्र स्थान खाली- गौड़ फादर नहीं |
21) चन्द्र 12वे घर मे –नींद कम रात को जागे |
22) सूर्य/बुध दूसरे भाव मे –पत्नी सुख मे कमी |
23) चन्द्र पर शनि दृस्टी-मानसिक अस्थिरता |डबल माईंड |
24) सप्तमेश नीच राशि का –विवाह मे धोखा |
25) लग्नेश छठे घर मे –सभी के प्रति आशंका एवं डर की भावना |
26) अस्ट्मेश नवमेश की युति-प्रेत बाधा
27) छठे व दूसरे घर के स्वामी का परिवर्तन-प्रतियोगिता द्वारा धननाश |
28) सूर्य चन्द्र जिस भाव मे संग- उस भाव का नाश|
29) सूर्य संग शनि लग्न मे –विवाह देर से |

सोमवार, 12 नवंबर 2012



 लक्ष्मी के 16 स्वरूप पुराणो एवं तंत्र ग्रंथो मे लक्ष्मी के 16 स्वरूप बताए गए हैं जिन्हे निम्न नामो से जाना जाता हैं |


1)   भार्गवी

2)   समुद्रतनया

3)   रमा

4)   श्री

5)   कीर्ति

6)   जया

7)   माया

8)  वैष्णवी

9)  आधलक्ष्मी

10)   धान्यलक्ष्मी

11)   धैर्यलक्ष्मी

12)   गजलक्ष्मी

13)   संतानलक्ष्मी

14)   विजयलक्ष्मी

15)   विद्यालक्ष्मी

16)   धनलक्ष्मी

रविवार, 11 नवंबर 2012

राशि अनुसार लक्ष्मी आराधना




राशि अनुसार लक्ष्मी आराधना –


मेष राशि व वृश्चिक राशि के जातको को लक्ष्मी के वसुधा स्वरूप की पुजा करनी चाहिए व निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए “ॐ ग्लों श्रीं अन्नम महान्न्म मे देहानाधिपत्ये ममान्नम प्रदापय स्वाहा श्रीं ग्लों ॐ” ||

वृष व तुला राशि के जातको को लक्ष्मी के सिद्धलक्ष्मी स्वरूप की पुजा करनी चाहिए व “ॐ  श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्म्ये नम;” का जाप करना चाहिए |

मिथुन व कन्या राशि वालो को लक्ष्मी के ज्येष्ठा स्वरूप की पुजा कर “ ऐ ह्रीं श्रीं ज्येष्ठालक्ष्मी स्वयंभुवे ह्रीं ज्येष्ठाये नम;” का जाप करना चाहिए |

कर्क राशि वालो को लक्ष्मी के लक्ष्मी स्वरूप की ही पुजा कर “ॐ ह्रीं लक्ष्म्ये नम; परमलक्षा वस्थिताए ह्रीं श्रीं ह्रीं स्वाहा” का जाप करना चाहिए |

सिंह राशि के जातको को लक्ष्मी के कीर्ति स्वरूप की पुजा करनी चाहिए व निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए ॐ ह्रीं क्रीं त्रै नम; सदोदितानन्द विग्रहाये ह्रीं क्रीं स्वाहा“ |

धनु व मीन राशि के जातको को लक्ष्मी के जया स्वरूप की पुजा करनी चाहिए व ॐ ह्रीं जयाये नम;अजिताधामावस्थिताए ह्रीं जीं स्वाहा“ का जाप करना चाहिए |

कुम्भ व मकर राशि वालो को लक्ष्मी के माया स्वरूप की पुजा कर ॐ ह्रीं मायाये नम;मोहलक्षावस्थिताए श्रीं म्री ह्रीं स्वाहा ” का जाप करना चाहिए |


गुरुवार, 8 नवंबर 2012

धनतेरस पर छिपकली




धनतेरस के दिन यदि घर पर छिपकली दिख जाये तो यह समझे की पूरे वर्ष आपके घर पर धन की कमी नहीं होगी | इस दिन कुबेर (धन के देवता) का पूजन किया जाता हैं नए बर्तन खरीदने का भी विधान हैं तथा अकाल मृत्यु के भय को समाप्त करने के लिए यमराज को दीप दान भी किया जाता हैं | इसी दिन धन्वन्तरी (आयुर्वेद के जन्मदाता) जयंती भी मनाई जाती हैं |