बुधवार, 20 अगस्त 2014

हम हिन्दू सच मे दरियादिल हैं

हम हिन्दू सच मे दरियादिल हैं

अभी कुछ दिन पहले आई फिल्म सिंघम 2 के एक सीन मे फिल्म का नायक एक भगवा वस्त्र पहने साधू जैसे दिखते किरदार से कहता हैं की मैं तेरा उपदेश सुनने नहीं आया हूँ बल्कि तुझे जेल ले जाने आया हूँ इस सीन मे हमारे भारतीय हिन्दू भाइयो को कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगता परंतु यही सीन यदि किसी मुस्लिम किरदार के लिए कहा गया होता तो मुस्लिम संगठन इस सीन को अवस्य बदलवा देते या फिल्म पर रोक लगा देते हम हिन्दू सच मे दरियादिल हैं |


कुछ साल पहले ऐसे ही एक फिल्म जिसमे संजय दत्त नायक थे उसमे एक गाना “या मुस्तफा या मुस्तफा“ था उसे सिर्फ मुस्लिम संगठनो ने इसलिए बदलवा दिया था की इसमे मुस्तफा शब्द आया था जिसे बाद मे बदलकर “या दिलरुबा या दिलरुबा” कर दिया गया | हम हिन्दू सच मे दरियादिल हैं


एक और उदाहरण अभी पिछले साल आई फिल्म “गोलियो की लीला रासलीला” का हैं जिसमे नायक का नाम राम हैं और वह ब्लू फिल्म बेचने का व्यापार फिल्म मे करता दिखाया गया हैं जिससे किसी भी हिन्दू संगठन को आपत्ति नहीं हुई चूंकि यह फिल्म एक बड़े हिन्दू निर्देशक द्वारा बनाई गयी हैं जिसके पास बहुत सा पैसा हैं वह चाहे तो हमारे भगवानों को कुछ भी करता बेचता दिखा सकता हैं हम हिन्दुओ को तो कोई आपत्ति होती ही नहीं हैं | हम हिन्दू सच मे दरियादिल हैं |

चुनाव के दिनो मे एक विज्ञापन दिखाया जाता था आजकल भी कभी कभी आ जाता हैं जिसमे एक हिन्दू जोड़ा अपने घर की चाबी भूल जाता हैं और एक मुस्लिम पड़ोसन कहती की आइए मैं आपको चाय पिलाती हूँ क्या हिंदुस्तान देश होने से इसमे ऐसा नहीं दिखाया जा सकता था की एक मुस्लिम जोड़ा अपने घर की चाबी भूल जाता और हिन्दू पड़ोसन उन्हे चाय के लिए पूछती मैं दावे से तो नहीं लेकिन यकीन से कह सकता हूँ की उसमे मुस्लिम संगठन ज़रूर अपनी आपत्ति जता देते यह साबित करता हैं की हम हिन्दू सच मे दरियादिल हैं |


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