शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

संगीत से रोग भगाये

 


आजकल संगीत द्वारा बहुत सी बीमारियो का इलाज किया जाने लगा हैं | चिकित्सा विज्ञान भी यह मानने लगा हैं की प्रतिदिन 20 मिनट अपनी पसंद का संगीत सुनने से रोज़मर्रा की होने वाली बहुत सी बीमारियो से निजात पायी जा सकती हैं जिस प्रकार हर रोग का संबंध किसी ना किसी ग्रह विशेष से होता हैं उसी प्रकार संगीत के हर सुर व राग का संबंध किसी ना किसी ग्रह से अवश्य होता हैं यदि किसी जातक को किसी ग्रह विशेष से संबन्धित रोग हो और उसे उस ग्रह से संबन्धित राग,सुर अथवा गीत सुनाये जाये तो जातक विशेष जल्दी ही स्वस्थ हो जाता हैं प्रस्तुत लेख मे हमने इसी विषय को आधार बनाकर ऐसे बहुत से रोगो व उनसे राहत देने वाले रागो के विषय मे जानकारी देने का प्रयास किया हैं जिन शास्त्रीय रागो का उल्लेख किया किया गया हैं उन रागो मे कोई भी गीत,संगीत,भजन या वाद्य यंत्र बजा कर लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं | यहाँ हमने उनसे संबन्धित फिल्मी गीतो के उदाहरण देने का प्रयास भी किया हैं |

1)हृदय रोग – इस रोग मे राग दरबारी व राग सारंग से संबन्धित संगीत सुनना लाभदायक हैं इनसे संबन्धित फिल्मी गीत निम्न हैं - तोरा मन दर्पण कहलाए (काजल),राधिके तूने बंसरी चुराई (बेटी बेटे),झनक झनक तोरी बाजे पायलिया (मेरे हुज़ूर),बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम (साजन),जादूगर साइया छोड़ो मोरी (फाल्गुन),ओ दुनिया के रखवाले (बैजु बावरा),मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये (मुगले आजम)

2)अनिद्रा – यह रोग हमारे जीवन मे होने वाले सबसे साधारण रोगो मे से एक हैं इस रोग के होने पर राग भैरवी व राग सोहनी सुनना लाभकारी होता हैं जिनके प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं 1)रात भर उनकी याद आती रही(गमन),2)नाचे मन मोरा (कोहिनूर),3)मीठे बोल बोले बोले पायलिया(सितारा),4)तू गंगा की मौज मैं यमुना (बैजु बावरा),5)ऋतु बसंत आई पवन(झनक झनक पायल बाजे),6)सावरे सावरे(अंनुराधा),7)चिंगारी कोई भड़के (अमर प्रेम),छम छम बजे रे पायलिया (घूँघट),झूमती चली हवा (संगीत सम्राट तानसेन),कुहु कुहु बोले कोयलिया (सुवर्ण सुंदरी )

3)एसिडिटी – इस रोग के होने पर राग खमाज सुनने से लाभ मिलता हैं इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं 1)ओ रब्बा कोई तो बताए प्यार (संगीत),2)आयो कहाँ से घनश्याम(बुड्ढा मिल गया),3)छूकर मेरे मन को (याराना),4)कैसे बीते दिन कैसे बीती रतिया (ठुमरी-अनुराधा),5)तकदीर का फसाना गाकर किसे सुनाये (सेहरा),रहते थे कभी जिनके दिल मे (ममता),हमने तुमसे प्यार किया हैं इतना (दूल्हा दुल्हन),तुम कमसिन हो नादां हो (आई मिलन की बेला)

4)कमजोरी – यह रोग शारीरिक शक्तिहीनता से संबन्धित हैं इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ भी काम कर पाने मे खुद को असमर्थ महसूस करता हैं इस रोग के होने पर राग जय जयवंती सुनना या गाना लाभदायक होता हैं इस राग के प्रमुख गीत निम्न हैं - मनमोहना बड़े झूठे(सीमा),2)बैरन नींद ना आए (चाचा ज़िंदाबाद),3)मोहब्बत की राहों मे चलना संभलके (उड़न खटोला),4)साज हो तुम आवाज़ हूँ मैं (चन्द्रगुप्त),5)ज़िंदगी आज मेरे नाम से शर्माती हैं (दिल दिया दर्द लिया),तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का ना (बीस साल बाद)

5)याददाश्त – जिन लोगो की याददाश्त कम हो या कम हो रही हो उन्हे राग शिवरंजनी सुनने से बहुत लाभ मिलता हैं इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं - ना किसी की आँख का नूर हूँ(लालकिला),2)मेरे नैना(महबूबा),3)दिल के झरोखे मे तुझको(ब्रह्मचारी),4)ओ मरे सनम ओ मरे सनम(संगम),5)जीता था जिसके (दिलवाले),6)जाने कहाँ गए वो दिन(मेरा नाम जोकर)

6)खून की कमी – इस रोग से पीड़ित होने पर व्यक्ति का चेहरा निस्तेज व सूखा सा रहता हैं स्वभाव मे भी चिड़चिड़ापन होता हैं ऐसे मे राग पीलू से संबन्धित गीत सुनने से लाभ पाया जा सकता हैं - 1)आज सोचा तो आँसू भर आए (हँसते जख्म),2)नदिया किनारे घिर आए बदरा(अभिमान),3)खाली हाथ शाम आई हैं (इजाजत),4)तेरे बिन सुने नयन हमारे (लता रफी),5)मैंने रंग ली आज चुनरिया (दुल्हन एक रात की),6)मोरे सैयाजी उतरेंगे पार (उड़न खटोला),

7)मनोरोग अथवा डिप्रेसन – इस रोग मे राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक होता हैं इन रागो के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं - 1)तुझे देने को मेरे पास कुछ नहीं(कुदरत नई),2)तेरे प्यार मे दिलदार(मेरे महबूब),3)पिया बावरी(खूबसूरत पुरानी),4)दिल जो ना कह सका (भीगी रात),तुम तो प्यार हो(सेहरा),मेरे सुर और तेरे गीत (गूंज उठी शहनाई),मतवारी नार ठुमक ठुमक चली जाये (आम्रपाली),सखी रे मेरा तन उलझे मन डोले (चित्रलेखा)

8)रक्तचाप - ऊंच रक्तचाप मे धीमी गति और निम्न रक्तचाप मे तीव्र गति का गीत संगीत लाभ देता हैं ऊंच रक्तचाप मे “चल उडजा रे पंछी की अब ये देश (भाभी),ज्योति कलश छलके (भाभी की चूड़ियाँ),चलो दिलदार चलो ( पाकीजा),नीले गगन के तले (हमराज़) जैसे गीत व निम्न रक्तचाप मे “ओ नींद ना मुझको आए (पोस्ट बॉक्स न॰ 909),बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दीवाना (जिस देश मे गंगा बहती हैं),जहां डाल डाल पर (सिकंदरे आजम),पंख होती तो उड़ आती रे (सेहरा) | शास्त्रीय रागो मे राग भूपाली को विलंबित व तीव्र गति से सुना या गाया जा सकता हैं |

9)अस्थमा – इस रोग मे आस्था–भक्ति पर आधारित गीत संगीत सुनने व गाने से लाभ होता हैं राग मालकोंस व राग ललित से संबन्धित गीत इस रोग मे सुने जा सकते हैं जिनमे प्रमुख गीत निम्न हैं - तू छुपी हैं कहाँ (नवरंग),तू हैं मेरा प्रेम देवता(कल्पना),एक शहँशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल (लीडर),मन तड़पत हरी दर्शन को आज (बैजु बावरा),आधा हैं चंद्रमा (नवरंग)

10)सिरदर्द – इस रोग के होने पर राग भैरव सुनना लाभदायक होता हैं इस राग के प्रमुख गीत इस प्रकार से हैं मोहे भूल गए सावरियाँ (बैजु बावरा),राम तेरी गंगा मैली (शीर्षक),पूंछों ना कैसे मैंने रैन बिताई(तेरी सूरत मेरी आँखें),सोलह बरस की बाली उम्र को सलाम (एक दूजे के लिए)

 

 

बुधवार, 29 दिसंबर 2021

Which place will you flourish

 Which place will you flourish

Answer: A simple way has been given in Kalamrit to tell which place a particular person will grow according to his name, for this, we should keep in mind the following things.

If the remainder of the digits of the name of the native is better than the digits of the place known to him, then that place flourishes.

The first letter of the person's name should be counted with "A" and should be kept as "A". 
 
The first letter of the place where he is going should also be counted with "A" and it should be kept as B.
Now, putting A and B together should divide by 8, the remaining ones should be given the name "X", similarly B and A should be divided by 8 and those who come should give the name "Y".
If "X" comes more than "Y", the native should understand that he will be successful by going to that fixed place.
Let us understand this by example.
Suppose the name of the person is Ravindranath, when we count it from "A" to "R", we get 18 marks.

 

Suppose the native has to go to Vijayawada, then we get 22 marks by counting from "A" to "V".
Now dividing these two digits by 8, 1822 gives 6, while dividing 2218 by 8 gives 2.
In this way we saw that the remainder of the name of the native is coming more, so the person will definitely get success by going to Vijayawada.
The greater the difference between the two points, the more the person will benefit from that place.
According to the planet, the Sun, Saturn and Rahu Ketu make the place change.

 

 

रविवार, 19 दिसंबर 2021

कुबेर अंश के ग्रह

कुबेर अंश के ग्रह (00-2'30)

हम सब जानते हैं कि विभिन्न अंशों में गए हुए ग्रह कि अपना विशेष फल प्रदान करते हैं परंतु कुंडलियों के अध्ययन के अनुसार अनुभव में देखा गया है कि कुबेर अंश में गए ग्रह विशेष तौर से अपना फलित सटीकता से अपने नाम के अनुरूप दर्शाते हैं|

हमने लगभग 500 कुड़लियो का अध्ययन कर ये निष्कर्ष पाया कि यदि इस तरह से फलित किया जाए तो  हम फलित के काफी निकट पहुंच सकते हैं |

1)जवाहरलाल नेहरू 14/11/1889 23:05 इलाहाबाद जी की कर्क लग्न की पत्रिका में देखें तो उनका धनेश सूर्य कुबेर अंश में है इस सूर्य ने ही इन्हें बेहतरीन फल प्रदान किए हैं |

3)पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव 28/6/1921 13:02 वारंगल जी की कन्या लग्न की पत्रिका में देखें तो राहु केतु कुबेर अंश में है इनके विषय में भी हम सब जानते ही हैं |

4)राजीव गांधी 20/8/1944 8:11 मुंबई जी की सिंह लग्न की पत्रिका में देखे तो मंगल भाग्य स्वामी होकर कुबेर अंश में है हम सब जानते ही हैं कि यह कितने धनवान रहे हैं|

5)वर्तमान प्रधानमंत्री श्री मोदी 17/9/1950 12:09 वदनगर जी की वृश्चिक लग्न की पत्रिका में देखें तो मंगल,बुध और सूर्य कुबेर अंश में गए हैं और उनके विषय में सब जानते ही हैं |

6)मदर टेरेसा 26/8/1910 14:24 बबीना ग्रेडा जी की वृश्चिक लग्न की पत्रिका में राहु केतु कुबेर अंश में गए हैं |

7) राजकुमारी डायना 1/7/1961 21:19 सेंडविच की धनु लग्न की पत्रिका में शुक्र एकादशेश होकर कुबेर अंश में गया है |

8)बिल क्लिंटन 19/8/1946 8:53 हॉप की कन्या लग्न की पत्रिका मे लग्न और गुरु चतुर्थेश सप्तमेश कुबेर अंश में है |

9)हिलेरी क्लिंटन 27/10/1947 20:00 शिकागो की मिथुन लग्न की पत्रिका मे राहु केतु कुबेर अंश में है |

10)पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 14/6/1946 10:54 जमैका सिंह लग्न की पत्रिका में देखें तो सप्तमेश शनि कुबेर अंश मे हैं |

11)औरंगजेब 14/10/1618 7:43 उज्जैन की तुला लग्न की पत्रिका में एकादशेश सूर्य कुबेर अंश मे है |

12)रानी एलिजाबेथ 21/4/1926 2:48 लंदन की मकर लग्न की पत्रिका में लग्न और लग्नेश शनि दोनों कुबेर अंश मे हैं |

13)पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा 4/8/1961 19:24 होनुलूलू की मकर लग्न की पत्रिका में लग्नेश शनि कुबेर अंश में है |

14)पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री चरण सिंह 23/12/1902 7:23 नूरपुर जी की धनु लग्न की पत्रिका में राहु केतु कुबेर अंश में है |

15)रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 7/10/1952 10:00 सेंट्स पिट्स्बर्ग की वृश्चिक लग्न की पत्रिका में लाभेष बुध कुबेर अंश में है |

16)सद्दाम हुसैन 28/4/1937 8:15 टिकरीत की मिथुन लग्न की पत्रिका में लग्नेश बुध कुबेर अंश में है |

17)अरविंद घोष 15/8/1872 5:08 बारासात की कर्क लग्न की पत्रिका में धनेश सूर्य कुबेर अंश में हैं |

21)स्वामी प्रभूपाद 1/8/1886 15:45 कलकत्ता की मकर लग्न की पत्रिका मे राहू केतू, तृतीयेश द्वादशेश गुरु व पंचमेश कर्मेश शुक्र कुबेर अंश मे हैं |

22)अब्राहिम लिंकन 12/2/1809 7:32 अमरीका की कुम्भ लग्न की पत्रिका मे धनेश लाभेष गुरु कुबेर अंश मे हैं  | 23)कपिल देव 6/1/1959 4:50 चंडीगढ़ की धनु लग्न की पत्रिका मे सप्तमेश दशमेश बुध कुबेर अंश मे हैं |

24)अमिताभ बच्चन 11/10/1942 16:00 इलाहाबाद की कुम्भ लग्न की पत्रिका मे धनेश लभेष गुरु कुबेर अंश मे हैं  |

25)शाहरुख खान की पत्रिका मे का शुक्र (कर्मेश) कुबेर अंश  का है |

26)अमित शाह का राहु 2 अंशो का हैं |

 

 

 

 

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

विभिन्न श्राप और संतान जन्म

 


मनुष्य सदा अपूर्ण है । उसे पूर्णता प्राप्त होती है अत्री यानि पत्नी से और संपूर्णता प्राप्त होती है संतति अथवा संतान के  आगमन से । पति पत्नी हमेशा गुणवान,चरित्रशील, और अभ्यास में परिपूर्णता वाले संतान की कामना करते है। इनमें से कई दंपत्तियों की मनोकामना परिपूर्ण होती है और कई दंपति ऐसे भी होते है कि पूर्ण स्वस्थ होने के बावजूद भी उन्हें संतान नसीब नहीं होती हैं |

जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों के विभिन्न स्थान,दृष्टि, युति प्रतियुति या संबंध से कुछ ऐसे अनुठे योग बनते है जिनके कारण बनने वाले विविध शाप योगो से जातक को संतान सुख प्राप्त नहीं होता है । प्रस्तुत लेख मे हम ऐसे ही कुछ शापित योगो के बारे मे जानकारी दे रहे हैं जिनके कारण संतान का जन्म नहीं हो पाता हैं |

1)सर्प श्राप योग

1)सुते राहो भीमदृष्टे सर्पशापात विपुत्र:

पंचम भाव में राहु स्थित हो और उसे मंगल देखता हो तो जातक संतान हीन रहता है |

2). मे सुते चन्द्रदृष्टे सुतेशे राहु युते सर्पशापात् विपुत्र:

पंचम भाव मे शनि हो,पंचमेश राहु से युत हो तथा चन्द्रमा उसे देखता हो तो जातक संतान हीन रहता रहता हैं |

3)लग्नेशे राहुयुते पुत्रेशे भौमयुते सर्पशापात् विपुत्र:  

पंचमेश व लग्नेश निर्बल हो,पंचमेश मंगल से युत हो एवं लग्नेश राहू से युत हो तो जातक संतानहीन रहता है।

4). स्वांशे भौमे पुत्रेशे ज्ञे पापयुते सर्पशापात् विपुत्र:

पंचमेश मंगल हो या मंगल अपने ही नवमांश में हो,पंचम भाव से युत या दृष्ट हो,पंचम में यदि राहू ग्रह हो तो जातक संतानहीन रहता है।

5). सुतेशे भौमसुते राहौ सौम्यादृष्टे सर्पशापात् विपुत्र:

मंगल पंचम भाव में स्वगृही हो, और अन्य किसी ग्रह से युत या दृष्ट राहू पंचम भाव में हो तो जातक संतान हीन रहता है।

6). सुताअंगेशौ बिबलो सुते पापा: सर्पशापात् विपुत्रः

लग्नेश और पंचमेश निर्बल हो और पापग्रह पंचम भाव में हो तो जातक संतान हीन रहता है।

7). सुतकारक युतौ राहुवंगेशयुते पुत्रेशे त्रिके सर्पशापात् विपुत्र:

पंचमभाव का कारक गुरू मंगल से युत हो: लग्नेश राहु से युत हो या लग्न में राहु हो तथा पंचमेश त्रिक स्थानो में (6, 7, 12) हो तो जातक संतान हीन रहता है।

 

2)पित्रश्राप योग

ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक माना गया,सूर्य का अन्य ग्रहों से बनता योग पितृ शाप योग कहलाता है । कुछ उदाहरण पेश है।

1)पुत्रषेअर्क क्रूरान्तरे त्रिकोणे पाप दृष्टे पितृशापात् विपूत्र:-

मिथुन लग्न हो सूर्य पंचम में तुला राशि में नीच का हो और मकर या कुंभ नवमाश में पाप पीडित हो तो जातक नि:संतान रहता है।

2)सुते अर्क पापान्तरे मन्दारो नीचगौ पितृशापात् विपुत्रः –

सूर्य पंचम भाव में पाप कर्तरी योग में हो, शनि और मंगल नीच के हो तो जातक नि:संतान रहता है।

3)सिंहेज्ये पुत्रेशेअर्कयुते पुत्राअंगौ पापी पितृशापात् विपुत्र:

 गुरू पंचम भाव में हों, पंचमेश सूर्य के साथ हो, और पाप ग्रह पंचम और लग्न में हो तो जातक नि:संतान रहता है।

4). सूर्य रन्ग्रे सते मंदे पुत्रेशे राहुयुते पितृशापात विपुत्र:-

सूर्य अष्टम स्थान में हो शनि पंचम स्थान हो और पंचमेश राहु से युत हो जातक पितृ के शाप से नि:संतान रहता हैं |

5). न्ययये अंगे रन्य पे पुत्रे, खपे रन्प्रे पितृशापात विपुत्र:-

बारहवे स्थान का स्वामी लग्न में हो, अष्टमेश पंचम भाव हो एवं दशमेश अष्टम स्थान में हो तो जातक पितृ शाप से नि:संतान रहता है ।

 

3) मातृशापयोग - ज्योतिष में चन्द्र को माता का कारक माना गया है। चन्द्र से सम्बंधित अन्य ग्रहों से बनता योग मातृशाप योग कहलाता है। कुछ उदाहरण पेश हैं |

1)पुत्र पे चन्द्रेनीचगे वा पापान्तरे सुताम्बुगौ' पापीमातृशापात विपुत्र:

पंचमेश चन्द्र हो पाप ग्रहों के बीच में हो या पंचम मे चन्द्र नीच का हो उसके साथ पंचम मे पाप ग्रह हो और चौथे स्थान में भी पाप ग्रह होतो जातक माता के शाप से संतान हीन रहता है |

2). अल्यंगे मंदे तुर्ये पापा: पुत्रे चन्द्रे मातृशापात् विपुत्र:-

वृश्चिक लग्न हो वृश्चिक लग्न में शनि हो, चतुर्थ स्थान में पाप ग्रह विद्यमान हो एवं पंचम भाव में चन्द्रमा हो तो जातक माता के शाप से नि:संतान हो, रहता है।

3)सुतेशे त्रिके, लग्नेशे नीचे, पापयुते चन्द्रे मातृशापात् विपुत्र:-

पंचमभाव का स्वामी 6, 8 या 12 वे स्थान में हो, लग्नेश नीच का हो और चन्द्रमा पाप ग्रहों से युत होतो जातक माता के शाप से संतान हीन रहता है।

4)सुतेशे चन्द्रे मन्दराहबारयुते मातृशापात् विपुत्र:-

चन्द्रमा पंचम स्थान में अधिपति हो और वह शनि, राहु या मंगल के साथ हो तो जातक माता के शाप से संतानहीन रहता है।

5). सुखेशे भौमे राहु अर्कजयुते लग्ने पुष्पवन्तौ मातृशापात् विपुत्र:-

चतुर्थ भाव का स्वामी होकर मंगल राहु और शनि से युत हो, लग्न में सूर्य और चन्द्र हो तो जातक माता के शाप से नि:संतान रहता है।

6). सुखेशे अष्टमे पुत्रांमेशौ षष्ठे, खारीशौ लग्ने मातृशापात् विपुत्रः-

चतुर्थ स्थान का स्वामी अष्टम में हो, पंचमाधिपति और लग्नेश दोनो छठे स्थान में हो, लग्नेश दुस्थान में हो तो जातक मातृशाप से नि:संतान रहता है। .

7). पुत्रा अंगाष्टारिगा राहवर्कार मन्दा लग्नेशे त्रिके मातृशापात् विपुत्र:-

राहु पंचम भाव में हो, सूर्य लग्न में हो, मंगल अष्टम स्थान में हो और शनि छठे स्थान में हो, और लग्नेश दुस्थान में हो तो जातक मातृशाप से नि:संतान रहता है।

 

(4) पत्नी शापयोग

सप्तमभाव का स्वामी पापग्रहो से युत हो तो पत्नीशापयोग होता है|

1) यदि सप्तमेश आठ में स्थान में हो, व्ययेश पंचम भाव में हो और पंचम भाव का कारक गुरू पापग्रह से युक्त हो तो पत्नी शाप योग से संतान नष्ट होती है।

2) पंचम भाव में शुक्र हो, सप्तमेश आठवें स्थान में हो, और पंचम भाव कारक गुरू पापग्रह युत हो तो पत्नी शाप योग से संतान नष्ट होती है।

3) द्वितीय स्थान में पापग्रह हो, सप्तमेश आठवे स्थान में हो और पंचम भाव में पापग्रह होतो पत्नी शाप योग से संतान नष्ट होती हैं |

4) भाग्येश शुक्र हो, पंचमेश शत्रु राशि में हो तथा गुरू, लग्नेश और सप्तमेश 6,8 और 12 वे स्थान में गए होतो पत्नी शाप योग से संतान नष्ट होती है।

5) सप्तमभाव में शनि, केतु और शुक्र का योग हो, अष्टमेश पंचम में और लग्न में सूर्य तथा राह का योग हो तो पत्नी शाप से संतान नष्ट होती है।

 

5) कुलदेव दोषात् विपुत्र योग

1) छठे स्थान में शनि बुध, चन्द्र सूर्य से दुष्ट हो, लग्न में पापग्रह हो तो कुलदेवदोष से संतान प्राप्त नहीं होती है।

2) मकर या कुंभ राशि का सूर्य पाप ग्रह से दृष्ट हो अथवा लग्न में दो पापग्रह हो तो  कुलदेव दोष से संतान प्राप्त नहीं होती

 

6)भ्रातृ शापात्सुतक्षय योग

1. लग्नेश तृतीय भाव में, तृतीयेश पंचम भाव में हो और लग्न तृतीय व पंचम भाव में पापग्रह हो तो भाई के शाप से जातक की संतान नष्ट होती हैं |

2. अष्टमेश पंचम में तृतीयेश से युक्त हो,और आठवें स्थान में मंगल शनि हो तो भाई के शाप से जातक की संतान नष्ट होती हैं |

 

7)ब्रह्म शापात्सुत क्षय योग

1. धनु या मीन में राह हो, और पंचम भाव में गुरू, मंगल या शनि हो तथा नवमेश अष्टम में गया हो तो किसी ब्राह्मण शाप से संतान नष्ट होती है।

2. नवमेश पंचम में हो, पंचमेश आठवें स्थान में हो और गुरू के साथ मंगल और राहु हो तो किसी ब्राह्मण के शाप से संतान नष्ट होती है।

3. नवमेश नीच राशि का हो, व्ययेश पंचम में राहु से युत या दृष्ट हो तो किसी ब्राह्मण के शाप से संतान नष्ट होती है ।.

4)लग्न में शनि पापग्रह से युक्त हो, राहु भाग्य में गया हो और गुरु बारहवे स्थान में गया हो तो किसी ब्राह्मण के शाप से संतान नष्ट होती हैं |