सोमवार, 25 अप्रैल 2011

अद्भुत खगोलीय घटना

3o अप्रैल २०११  से लगभग १५ दिनो के  लिए पूर्वीय क्षितिज पर पर पांच ग्रह जिनमे  चन्द्र, ब्रहस्पति, बुध,शुक्र और मंगल एक ही राशी मीन पर होंगे तब हमारी धरती सें इन्हें देखा जा सकेगा  यह एक अद्भुत खगोलीय घटना होगी जो कई सालो मे  देखने में आती हैं  सूर्य कि परिक्रमा करते  हुए जब कभी कई सारे ग्रह एक ही राशी पर आते हैं तब उस राशी पर विशेष प्रभाव उत्पन्न हो जाता हैं जिसका सीधा असर धरती पर पड़ता हैं क्यूंकि मीन राशी जलतत्व की राशी हैं इससे धरती पर जल सम्बन्धी घटनाएं व दुर्घटनाये हो सकती हैं |

ज्योतिषीय दृष्टी से भी एक ही राशी में ज्यादा ग्रहों का बैठना शुभ नहीं माना जाता हैं जिससे धरती पर हमेशा कुछ प्राकतिक दुर्घटनाये ही होती हैं (भूकंप,ज्वालामुखी फटना,भू स्खलन,बाढ़ आदि ) परन्तु हमारा इस लेख में यह  सब बताने का प्रयास नहीं है | हम तो सिर्फ आप सबको यह बताना चाहते हैं की यदि आप सब इन ग्रहों को देखना चाहते हो तो ३० अप्रैल को  प्रात: सूर्योदय से पहले पूर्व दिशा में इन सभी को देख सकते हैं सबसे ज्यादा चमकीला ग्रह शुक्र पहले दिखाई देगा फिर मंगल, गुरु, बुध और सूर्य दिखाई  देंगे |

सोमवार, 4 अप्रैल 2011

नौ देवी एवं नक्षत्र


आप सभी को  नवरात्रों की शुभकामनाये - हमें कौन सी देवी की पूजा करनी चाहिए यह सवाल  अक्सर पूंछा  जाता  हैं प्रस्तुत  लेख  में  हमने इस सवाल  का जवाब  देने की कोशिश की  हैं | आप जिस नक्षत्र में  पैदा हुये हैं उसी  के अनुसार  आप देवी की पूजा एवं अर्चना कर  सकते  हैं |

१) यदि  आपका  जन्म  अश्विनी, माघ, व  मूल  नक्षत्र का है ( जिनका स्वामी   केतु  ग्रह  है) तो आपको  "शैलपुत्री" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  अपामार्ग  की जड़  धारण  करनी चाहिए |

२) भरनी,पूर्वाफाल्गुनी,पूर्वाषाढ़ ( नक्षत्र स्वामी शुक्र)  वालो को  "ब्रह्मचारिणी " देवी की पूजा करनी चाहिए तथा  अगस्थ  मूल  धारण करनी चाहिए |

३) कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ (नक्षत्र स्वामी  सूर्य) वालो को  "सिद्दिधात्री" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  बिल्वमूल  धारण  करनी चाहिए |

4) रोहिणी, हस्त, श्रवण (नक्षत्र स्वामी चंद्र) वालो को "चंद्रघंटा" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  सफ़ेद  चंदन मूल  धारण  करनी चाहिए |

5) मृगसिरा, चित्रा, धनिष्ठा ( नक्षत्र स्वामी मंगल)  वालो को "कुष्मांडा" देवी  की पूजा करनी चाहिए  तथा  जयंती मूल  धारण  करनी चाहिए |

6) आद्रा, स्वाति, शतभिषा  (नक्षत्र स्वामी राहू ) वालो को "कात्यायिनी" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  काले  वस्त्र  दान करने  चाहिए |

7) पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद (नक्षत्र स्वामी  गुरु) वालो  "स्कंदमाता" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  केले  के  पेड़ की मूल धारण करनी चाहिए|

8) पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद (नक्षत्र स्वामी शनि) वालो  को "कालरात्रि" देवी की पूजा करनी चाहिए  तथा  विच्छोल  मूल धारण करनी चाहिए |

9) रेवती, अश्लेशा, ज्येष्ठा (नक्षत्र स्वामी बुध) वालो को  "महागौरी" देवी की पूजा करनी चाहिए तथा  कलोल मूल धारण करनी चाहिए  |

शनिवार, 2 अप्रैल 2011

जय हिंद ...जय हिंद ....जय हिंद ...जीतो इंडिया जीतो

सुप्रभात मित्रो

ये कविता हमारे मित्र विश्वनाथजी ने भारत की जीत की कामना करते हुए भेजी है |

कर लो , ले लो  ..बस एक और जीत  
बन जाओ तुम फिर से हमारे मीत
एक मौका और है ..कर लो हमसे प्रीत
रात सुबह गायेंगे तुम्हारे लिए हम गीत

इंडिया इंडिया गाते हमको मिलेगी राहत
कप जीतो हँसते तुम सब - एक हमारी चाहत
एक एक कर के रणनीति से, सबको दी है मात
जोर लगाओ बढ़ जाओ आगे, मारो लंका को लात


सब है इस आशा में , क्या कुटिया, क्या  मकान
लायेगा सबके चेहरे पर, टीम इंडिया मुस्कान
आज दिखा दो दुनिया को खेल हमारी जान
लहराए हर गली कूंचे में, तिरगा अपनी शान

विश्व विजेता बनो यह अवसर है महान
ले लो कप बस यही , सब जन का फरमान
जय हिंद ...जय हिंद ....जय हिंद ...जीतो इंडिया जीतो
जय हिंद ...जय हिंद ....जय हिंद ...जीतो इंडिया जीतो

 

--- विश्वानि , अप्रैल , २०११