मंगलवार, 22 अगस्त 2017

गाज़ियाबाद मे ज्योतिष संगोष्ठी


आज दिनांक 17 मई 2017 को भारतीय वेद ज्योतिष विज्ञान संस्थानममोदिनगर द्वारा गाज़ियाबाद के रोटरी क्लब मे ज्योतिष संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय वैवाहिक जीवन की विसंगतियाँ था | भारतीय वेद ज्योतिष विज्ञान संस्थानम मोदिनगर के संस्थापक व मेडिकल एस्ट्रोलोजी मे प्रसिद्द विद्वान श्री विनायक पुलाह जी द्वारा आयोजित व विद्वान ज्योतिषी श्री अखिलेश कौशिक द्वारा संचालित इस ज्योतिषीय संगोष्ठी ज्योतिष जगत के कुछ चुने हुये विद्वानो को आमंत्रित किया था जिनमे प्रमुख श्री के॰पी॰ मुद्गल जी,डी॰के॰ गुप्ता जी शिवकुमारजी,आचार्य शिव कुमारजी,डॉ॰ अजय जैन जी,डॉ,स्मिता गोयल जी,आचार्या मधु जी, आचार्य प्रवीण भान जी,डॉ॰सुरेंदर शर्मा जी,श्री रामनिवास जी,श्री अजय कुमार जी,श्री रमेश सेमवाल जी,स्वयं हम भी शामिल थे |

कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य शिवकुमार जी द्वारा स्वस्ति वाचन कर किया गया इसके बाद एक एक कर सभी विद्वानो ने दिये गए विषय पर अपने शोध पत्र तथा अपने अपने विचार रखे जिनमे श्री डी॰ के॰ गुप्ता जी ने कस्पल इनटरलिंक विधि द्वारा यह बताया की सूर्य चन्द्र के मेल से लग्न का निर्माण होता हैं तथा जब इस लग्न का संबंध 5,7 व 11 भावो से किसी भी तरह से होता हैं तब ही जातक का विवाह हो पाता हैं तथा तलाक के लिए लग्न का 6,12 भावो से संबंध होना ज़रूरी होता हैं 

श्री सुरेंदर शर्मा जी ने वैदिक सुत्रों के द्वारा अपना शोध पत्र पढ़ा जिनमे मंगल दोष,अष्टम भाव मे शुक्र का होना,सूर्य बुध शुक्र की युति,सप्तम भाव मे शुक्र राहू का होना,सर्वाष्टक मे सातवे भाव मे कम बिन्दुओ का होना,योनि कूट मिलान आदि जैसे कारको पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया |    
श्री रमेश सेमवाल जी ने सभी भावो के द्वारा वैवाहिक जीवन मे आने वाले प्रभावों के विषय जानकारी देते हुये यह बताने का प्रयास किया की यदि सभी भावो पर थोड़ा बहुत अध्ययन कर विवाह किए जाए तो वैवाहिक जीवन मे होने वाली विसंगतियो से बचा जा सकता हैं |

श्री अखिलेश जी ने नक्षत्रो के द्वारा गुण मिलने पर अपने विचार रखे तथा यह बताया की यदि लग्नेश सप्तमेश व विवाह से संबंधित भावो के स्वामियों के नक्षत्रो का गूढ़ता से अध्ययन कर विवाह कराये जाये तो वाइवाह बाद आने वाली कई परेशानियों से बचा जा सकता है |

आदरणीय श्री के॰ पी॰ मुदगल जी ने आध्यात्मिक चिंतन व गुण मिलान द्वारा यह बताया की आज के संदर्भ मे यदि 11 से 15 गुण मिलते हो तो मिलान बढ़िया रहता हैं साथ ही उन्होने यह भी बताया की कुंडली मे सबसे पहले धर्म को रखा गया हैं जिसके बाद अर्थ आता हैं तथा यह दोनों एक दूसरे से 2/12 होते हैं | उन्होने गुण मिलान से संबन्धित अपने कुछ अनुभव उदाहरण के रूप मे भी बताए जिससे बहुत ही अच्छी व ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हुई व बहुत कुछ सीखें को मिला |

श्री प्रवीण भान जी विवाह से पूर्व व विवाह के बाद होने वाले अनैतिक संबंधो के विषय मे अपने अनुभव बांटे जिसमे उन्होने कुछ ऐसे कारण भी बताए जिनसे विवाहेत्तर संबंधोको बढ़ावा मिलता हैं |

संस्थापक आदरणीय श्री विनायक जी ने अपने अनुभवो के द्वारा ऐसे बहुत से सूत्र बताए जिनसे वैवाहिक जीवन मे कटुता आती हैं साथ ही उन्होने विवाह होने मे आने वाली परेशानियो के विषय मे भी जानकारी दी जो बेहद ज्ञानवर्धक थी |

हमने जैमिनी ज्योतिष के सूत्र दाराकारक व उपपद द्वारा यह बताने का प्रयास किया की विवाह सुख मे किस प्रकार परेशानिया आती हैं तथा एक से अधिक होने वाले विवाह के क्या सूत्र होते हैं | हमने 600 कुंडलियों का अध्ययन कर कुछ ऐसे सूत्र भी बताए जो विवाह के लिए स्त्री पुरुष दोनों की पत्रिका मे देखे जाने चाहिए जैसे यदि किसी भी पत्रिका मे 5वे,7वे व 9वे भावो का किसी भी प्रकार से संबंध हो तो तलाक होने की संभावना बढ़ जाती हैं |


अंत मे सभी विद्वानो को संस्थान की और से सम्मान पत्र दिये गए | सही माने मे यह एक बहुत ही बेहतरीन ज्योतिषीय आयोजन था जिससे हम जैसे ज्योतिषियो को बहुत कुछ सीखने को मिला हम आशा करते हैं की श्री विनायक जी यह ज्योतिषीय संस्थान भविष्य मे भी ऐसे कार्यक्रम करती रहेगी |

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