सोमवार, 12 जून 2017

कर्ज़



जब कोई व्यक्ति अपनी कमाई से ज़्यादा खर्च करता हैं या करना चाहता हैं तब उसे कर्ज़ लेना पड़ता हैं | कर्ज़ कब होगा व कितना होगा यह कुंडली से जाना जा सकता हैं |

दूसरा भाव जातक की मुद्रा,हाथ मे आए धन व चालित संपत्ति का होता हैं दुसवा भाव जातक का कमक्षेत्र अथवा नौकरी बताता हैं एकादश भाव जातक की बचत आदि बताता हैं | कोई भी जातक बाहुबल द्वारा,स्वयं की वस्तु द्वारा,भाई-बहनों,माता,संतान,दूसरों की सेवा,व्यापार,बीमा,विदेसियो व अपने कर्म द्वारा  अथवा यू कहें की 1 से 10 भावो के द्वारा धन अर्जित कर सकता हैं | द्वादश भाव खर्च का होता हैं जिस कारण 1 से 10 भावो का लाभ को जोड़कर इस द्वादश भाव के खर्च को घटाने पर बचा हुआ धन लाभ कहलाता हैं जिसे एकादश भाव से देखते हैं |

साधारणत:2,10,11 भावो को धन हेतु देखा जाता हैं छठा भाव क्यू कब और कितना धन कर्ज़ लिया जा सकता हैं इस हेतु देखते हैं अष्टम भाव हानी,दुर्घटना व आकस्मिक लाभ हेतु देखते हैं वही द्वादश भाव खर्च,खरीददारी व पैसे का कहीं पर लगाया जाना दर्शाता हैं इसलिए 6,8,12 भावो का सावधानी से अध्ययन किया जाना चाहिए |

लग्न भाव जातक के विषय मे बताता हैं जो कर्ज़ लेता हैं सप्तम भाव का स्वामी कर्ज़ देने वाला होता हैं छठा भाव कर्ज़ बताता हैं |कर्ज़ वास्तव मे जातक की आय के समान होता हैं जो लेने पर उसकी सम्पदा को बढ़ाता हैं परंतु देने वाले के लिए छठा भाव सप्तम से द्वादश होता हैं जो उसकी हानी बताता हैं इस प्रकार कर्ज़ किसी के लिए लाभ व किसी के लिए हानी बनता हैं अब ऐसे मे जब कर्ज़ चुकाया जाता हैं तब लेने वाले का द्वादश भाव (खर्च)तथा देने वाले का 12 भाव (छठा)उसे प्राप्ति दर्शाता हैं इसी प्रकार अष्टम भाव सप्तम से दूसरा होता हैं अर्थात देने वाले का धन भाव जबकि सप्तम भाव कर्ज़ देने वाले के विषय मे बताता हैं अब यदि अष्टम भाव मे पाप गृह हुआ तो यह देने वाले के दूसरे भाव मे होने से उसके द्वारा दिये पैसे का डूब जाना अथवा परेशानी मे आना बताता हैं और यदि अष्टम भाव मे शुभ गृह हुआ तो इसके विपरीत धन का वापस आ जाना दर्शाता हैं |

इस दुनिया मे हर कोई अपनी इज्जत बनाना व बचाना चाहता हैं जिस कारण कर्ज़ को अपने सिर से हर कोई जल्द से जल्द चुका देना चाहता हैं | दशम भाव कर्म बताता हैं जो की सप्तम से चतुर्थ भाव होता हैं जो धन वापसी की संभावना बताता हैं एकादश भाव लाभ बताता हैं परंतु यदि किसी ने कर्ज़ लेकर लाभ लिया हैं तो यह भाव सप्तम से पंचम होने के कारण उधर का चूकना भी बताता हैं | 
अत: यह स्पष्ट हैं की उधार का मिलना 2,6,10,11 तथा चुकाना 4,5,8,12 भावो से देखना चाहिए यदि 2,6,10,11 भावो मे शुभ ग्रह हुये तो जातक इन ग्रहो की दशा मे धन कमाएगा और यदि 4,5,8,12 भावो मे शुभ ग्रह होंगे तो कर्ज़ चुका भी देगा वही 2,6,10,11 भावो मे यदि पाप ग्रह हुये तो जातक को कमाने मे भी दिक्कत आएगी तथा 4,5,8,12 भावो मे पाप ग्रह हुये तो उसे कर्ज़ चुकाने मे दिक्कत भी आएगी |


चलिये अब देखते हैं की कोई कर्ज़ कब और क्यू लेता हैं जब लग्न व लग्नेश 6,8,12 भावो से संबन्धित होतो जातक अपनी सेहत व अपने साथी हेतु, अपने घाटे को पूरा करने हेतु तथा खर्चे को पूरा करने हेतु कर्ज़ लेता हैं |

कोई टिप्पणी नहीं: