सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

मेष लग्न मे मंगल


ज्योतिष esa Qfyr djuk ges'kk ls gh nq"dj jgk gS Qfyr djuk Qfyr lw=ksa ds vfrfjDr T;ksfr"kh ds vuqHkoksa ij Hkh fuHkZj djrk gS izR;sd yXuksa esa vius&vius 'kqHk o v'kqHk xzg gqvk djrs gS tcfd lk/kkj.kr xq:]'kqØ]cq/k o panz 'kqHk rFkk 'kfu]eaxy]lw;Z]jkgq]dsrq rFkk dgha&dgha panz v'kqHk xzg ekus tkrs gS ;gk¡ ;g Hkh /;ku j[ksa fd ;g 'kqHkk'kqHk es"k yXu ds vuqlkj gh j[ks x, gSaA
 
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आइए अब कुछ कुण्डलिया देखते हैं जिनमे मंगल ने लग्नेश होने के पूर्ण फल प्रदान किए हैं |

22 जुलाई 356 ईसा पूर्व 23:00 सिकंदर महान की इस मेष लग्न की पत्रिका मे मंगल तृतीय भाव मे हैं जो साहस व पुरुषार्थ का भाव माना जाता हैं सभी जानते हैं की इन्ही दोनों के कारण सिकंदर पूरी दुनिया मे अपना झण्डा फहराने मे कामयाब रहा यहाँ मंगल ने लग्नेश होने का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया हैं |

2)22/12/1907 14:10 जयसिंहनगर मे जन्मे सेठ लखमी चंद्र की इस मेष लग्न की पत्रिका मे मंगल लाभ भाव मे लाभेष-दशमेश शनि संग बैठकर धनयोग का निर्माण कर रहा हैं सेठ लखमी चन्द्र का अपना निजी बैंक था जिसकी कई शाखाए पूरे भारत वर्ष मे थी अंग्रेज़ सरकार मे भी इनका खूब आदर सम्मान था यहाँ मंगल ने लग्नेश होकर शनि पर नियंत्रण रखकर धनलाभ व बुद्दि भाव पर अपना पूर्ण प्रभाव दर्शाया हैं

3)24/12/1965 14:37 इंदौर मे जन्मे विश्व भर मे प्रसिद्द भारतीय सिनेस्टार सलमान खान की मेष लग्न की पत्रिका मे मंगल ऊंच राशि का होकर दशम भाव से लग्न पर दृस्टी दे रहा हैं अपने आरंभिक दिनो मे रोमांटिक नायक की भूमिका से आजकल के दबंग नायक के रूप मे इसी ऊंच के मंगल ने इन्हे प्रसिद्दि प्रदान की हैं इनकी एक्शन भरी फिल्मों के सभी दीवाने हैं यहाँ मंगल ने लग्नेश के साथ-साथ ऊंच के प्रभाव भी प्रदान किया हैं |

4)1/5/1951 5:45 दिल्ली प्रस्तुत जातक की पत्रिका मे मंगल लग्न मे ही स्थित हैं जिस कारण जातक ने अपनी साधारण शिक्षा प्राप्त करने के बाद किसी की भी नौकरी ना कर अपना ही व्यवसाय किया जातक गत्ते के बक्से बनाने का काम करता रहा हैं तथा आज अत्यधिक रूप से सफल व धनाढय व्यापारी हैं |

5)12/6/1942 1:32 कलकत्ता इस पत्रिका मे लग्नेश मंगल नीच राशि का होकर सभी केन्द्रीय भावो पर अपना प्रभाव बना रहा हैं जिससे जातक का कार्यक्षेत्र भी मंगल संबंधी बन पड़ा हैं मंगल का नीच भंग भी हुआ हैं यह जातक भारतीय थल सेना मे फाइटर पाइलट के पद पर रहा यहाँ मंगल ने नीच होकर भी पूर्णतया लग्नेश होने का अपना प्रभाव ऊंच राशि का होने से भी बेहतर दिया हैं |

6)26/12/1970 14:40 दिल्ली इस पत्रिका मे मंगल शुक्र शत्रु संग शत्रु राशि का ही होकर सप्तम भाव मे स्थित हैं परंतु इसकी लग्न व दशम भाव व दशमेश शनि पर दृस्टी होने से जातक ने अपने वकालत के क्षेत्र मे खूब तरक्की की हैं  यहाँ मंगल ने शत्रु संग व शत्रु राशि का होने के बावजूद लग्नेश होने का फल दिया हैं |
  
7)18/8/1944 21:35 कानपुर प्रस्तुत पत्रिका मे मंगल छठे भाव मे होकर शत्रुहंता योग बना रहा हैं इसकी लग्न पर दृस्टी होने से जातक ने अपने कार्यक्षेत्र मे काफी प्रतिस्पर्धा होने के बावजूद बड़ी मेहनत से समाज मे अपना एक ऊंचा मुकाम  बनाया हैं जातक उत्तर भारत के जाने माने कंस्ट्रक्टर बिल्डर हैं जिन्होने बहुत से विद्यालयो का निर्माण किया हैं |

कुछ अन्य पत्रिकाए जिनमे मंगल ने लग्नेश होने के शुभ प्रभाव दिये हैं |

1)22/12/1887 14:33 विजयवाड़ा भारत के सुप्रसिद्द वैज्ञानिक श्री रामानुजम की पत्रिका मे मंगल छठे भाव मे हैं |
2)21/3/1960 8:35 सहारनपुर मंगल ऊंच राशि का हैं जातक इंजीनियर हैं तथा ऊंच पद पर सरकारी संस्थान मे कार्यरत हैं |
3)15/9/1943 21:00 मेरठ मंगल लग्न मे हैं जातक इंजीनियर होकर अपना निजी व्यवसाय करता हैं |
4)सरदार पटेल 18/10/1875 को जन्मे लोहपुरुष पटेल की पत्रिका मे मंगल ऊंच राशि का दशम भाव मे हैं |

आइए अब कुछ ऐसी पत्रिकाए देखते हैं जिनमे मंगल ने अस्टमेष होने के अशुभ प्रभाव प्रदान किए |
1)10/9/1933 21:00 बनारस मे जन्मा यह जातक स्वस्थ शरीर का होनहार विद्यार्थी था परंतु 15 वर्ष की आयु मे बुखार से इस जातक की मृत्यु मंगल मे शुक्र दशा मे हुई पत्रिका मे देखे तो मंगल शक्र संग सप्तम अथवा मारक भाव मे हैंS तथा शनि से दृस्ट भी हैं यहाँ लग्नेश होते हुये भी मंगल ने शुक्र मारक के संग होने पर अपनी दशा मे अष्टम भाव व अस्टमेष के प्रभाव ही दिये |

2)24/2/1963 9:30 दिल्ली प्रस्तुत पत्रिका मे मंगल अपने नीच स्थान मे बैठकर सभी केन्द्रो को प्रभावित कर रहा हैं यह जातक जीवन बीमा कंपनी मे विकास पदाधिकारी के स्वतंत्र पद पर हैं यहाँ मंगल ने नीच होते हुये भी अस्टमेष अथवा अष्टम भाव से संबन्धित जीविका (बीमा संबंधी कार्य ) मे जातक को कार्यक्षेत्र प्रदान कर उसके जीवन को संवारा हैं |

3)इस पत्रिका मे मंगल छठे भाव मे हैं अष्टम भाव मे सूर्य व केतू का अग्नि प्रभाव हैं मंगल की लग्न पर दृस्टी तथा मंगल का अस्ट मेष होना भी जातक के काम ना आया इस जातक की अग्नि से जलकर मृत्यु हुयी यहाँ मंगल ने अपने अस्टमेष होने के ज़्यादा प्रभाव प्रदान किए ||

4)इस पत्रिका मे मंगल नीच का होकर सप्तम भाव व सप्तमेश शुक्र पर दृस्टी डाल रहा हैं जिससे जातिका के कई पुरुषो से अवैध संबंध रहे हैं परंतु अभी तक विवाह नहीं हुआ हैं मंगल यहाँ अष्टमेश व अष्टम भाव (पति से सुख) का फल प्रदान कर रहा हैं जिससे जातिका अत्यधिक कामी होकर व्यभिचार कर रही हैं |

इसी प्रकार इन दो पत्रिकाओ मे मंगल ने लग्नेश व अष्टमेश दोनों के प्रभाव दिये हैं |

11/9/1972 20:30 मेरठ मे जन्मे इस बाल रोग विशेषज्ञ की पत्रिका मे मंगल पंचम भाव मे हैं जबकि 18/5/1947 4:19 मथुरा मे जन्मे इस शल्य चिकित्सक की पत्रिका मे मंगल लग्न मे ही हैं |  

ऐसे और भी कई उदाहरण हैं जो मेष लग्न मे मंगल को अच्छा व बुरा प्रमाणित करते हैं इसलिए यह कहा जा सकता हैं की मेष लग्न मे मंगल की स्थिति अपना विशेष महत्व रखती हैं |




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