शनिवार, 25 जून 2016

फलित ज्योतिष मे सूर्य चन्द्र

फलित ज्योतिष मे सूर्य चन्द्र

फलित करना ईश्वरीय वरदान के अलावा विषय की सम्पूर्ण जानकारी समझ व अध्ययन क्षमता से जुड़ा होता हैं जो काफी श्रम व अनुभव से प्राप्त होता हैं | दैवज्ञ विलास नामक ग्रंथ मे विभिन्न तिथियो को जन्मे जातको के बारे मे जानकारी दी गयी हैं जिसमे कहा गया हैं की चतुर्थी (जब चन्द्र सूर्य से 156 से 168 अंश के मध्य होता हैं ) को जन्म जातक क्रूर कर्म करने को तत्पर,असंभव को प्राप्त करने वाला,दूसरों की मदद करने का ढोंग करने वाला,दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाला बदजूबान व नैतिकता से परे होता हैं | इस लेख मे हम सूर्य चन्द्र की इसी दूरी ( तिथि ) के विषय मे जानकारी दे रहे हैं |

हमारे प्राचीन विद्वानो ने चन्द्र लग्न को भी लग्न के समान ही महत्व दिया हैं कुंडली मे बली चन्द्र जहा जातक को शुभता प्रदान कर मानसिक रूप से स्थिर बनाता हैं वही निर्बल चन्द्र जातक को मानसिक परेशानी से ग्रस्त,भयभीत व आश्रित बनाता हैं | मुख्य रूप से चन्द्र जहां दिमाग,बुद्दि,चेहरा व चेहरे व आँखों की चमक दर्शाता हैं वही सूर्य आत्मा,स्वास्थ्य व्यक्तित्व,हड्डीया व आँखें दर्शाता हैं इस कारण सूर्य चन्द्र पर शुभ प्रभाव जातक को शुभता तथा अशुभ प्रभाव जातक को अशुभता देता हैं |

अलग अलग तिथियो मे जन्म जातक को विभिन्न प्रकार की मानसिकता प्रदान करता हैं  किसी भी जातक के जीवन मे मानसिक द्वंद व परेशानी इसी सूर्य चन्द्र की दूरी (तिथि) पर आधारित होती हैं | अष्टमी,नवमी,चतुर्दशी,पुर्णिमा व अमावस्या का जन्म जातक विशेष को आंतरिक कलह व विरोधाभास जैसी परेशानी देता हैं यह प्रभाव चन्द्र से 6,7 व 8 भाव मे बैठे शुभ गृह द्वारा नियंत्रित किया जा सकता हैं ऐसे ही सूर्य चन्द्र की युति का प्रभाव अधियोग के कारण कम हो जाता हैं | सूर्य चंद्र की युति अथवा इनका सम सप्तक होना कुछ संवेदन क्षेत्र जैसे केन्द्र मे नहीं मे नहीं होना चाहिए जिससे यह अशुभता ही देता हैं इनमे से भी पूर्णमासी का जन्म दो भावो को तथा अमावस्या का जन्म एक ही भाव को प्रभावित करता हैं |जातक की जीवन की सफलता का अंदाज़ा उसकी कुंडली मे सूर्य चन्द्र की स्थिति के अनुसार ही लगाया जा सकता हैं क्यूंकी जीवन मे जातक को अपने ही अंत्रद्वंदो से उलझना पड़ता हैं जो सूर्य के प्रभावों मे आता हैं अव अन्य क्षेत्र जो सूर्य से देखे जाते हैं उनका संबंध लग्न व लग्नेश से भी देखा जाता हैं

चन्द्र जहां जातक की आदतों,मानसिकता,सोचने समझने की क्षमता ,सोच व याददाश्त इत्यादि का प्रतीक होता हैं वही सूर्य जातक की सत्यता,आत्मविश्वास,तेज,साहस,पुरुषार्थ आदि का प्रतीक होता हैं ऐसे मे यदि सूर्य चन्द्र स्वयं से 6/8 भावो मे होतो जातक विशेष की सफलता कड़ी मेहनत के बाद भी कम ही होती हैं जबकि इन दोनों के 2/12 होने पर तथा चन्द्र के आगे होने पर जातक काल्पनिक द्वंदों मे उलझा रहता हैं परंतु थोड़ा कामयाब अवश्य होता हैं |  

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